नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू खाता घाटा (कैड) को कम करने और विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिए कुछ और कदम उठाये जाने के संकेत देते हुये शनिवार को कहा कि रुपये में 'वैश्विक कारक' से गिरावट हो रही है और डॉलर की तुलना में दुनिया की अधिकांश मुद्रायें कमजोर हो रही है। जेटली ने यहां '16वीं हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट' में उद्योगपतियों, राजनयिकों, राजनेताओं तथा विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए कहा कि रुपये में गिरावट के साथ ही तेल की कीमतों में आयी तेजी एवं आयात में बढ़ोतरी होने से कैड बढ़ने के जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं तथा कुछ और कदम उठाये जाने की संभावना है।
उन्होंने सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुये कहा कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बाजार से जुटाये जाने वाली राशि में 70 हजार करोड़ रुपये की कटौती की है और तेल विपणन कंपनियों को एक वर्ष में 10 अरब डॉलर जुटाने की अनुमति दी गयी है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद जारी बयान के बाद अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में भारतीय मुद्रा डॉलर की तुलना में अब के रिकार्ड निचले स्तर 74.23 रुपये प्रति डॉलर तक फिसल गयी थी लेकिन अंत में यह गुरुवार की तुलना में 19 पैसे की गिरावट लेकर 73.76 रुपये प्रति डॉलर पर रही थी।
भारत की अगले दो दशक तक उच्च वृद्धि दर बनाए रखने की उम्मीद
जेटली ने भारत के अगले दो दशक तक उच्च वृद्धि दर बनाए रखने की उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत चीन से भी बेहतर प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों से चीन के विकास की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि अगले 20 वर्षां में भारतीय मध्यम वर्ग विकास के वाहक बनेंगे और इनकी क्रय शक्ति का वैश्विक स्तर पर प्रभाव होगा और इसकी चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी होगी। वित्त मंत्री ने देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रभावित नहीं होने का आश्वासन देते हुए मोदी सरकार की नीतियों का बचाव भी किया और कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर नकारात्मक धारणा नहीं बनने जा रही है। उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों का हवाला देते हुए कहा कि अब किसी को भी नॉर्थ ब्लॉक स्थित उनके मंत्रालय में आने की जरूरत नहीं है।