मुंबई। केंद्र सरकार ने देश की विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया को बेचने का फैसला किया है। सरकार के इस कदम का विरोध हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार का ये फैसला निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए है। बता दें, कि केंद्र सरकार सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया का विनिवेश करने जा रही है। किसी भी सरकारी कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचने की प्रकिया को विनिवेश कहा जाता है।
कर्ज की वजह से घाटे में चल रही एयर इंडिया
एयर इंडिया अपने कर्ज की वजह से घाटे में चल रही है। सरकार इस कंपनी में अपनी यानि भारतीय सरकार की 76% हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचने जा रही है। जिस तरह से ये विनिवेश हो रहा है उससे घोटाले की आशंका जाहिर हो रही है।
संसदीय समिति ने किया था इसका विरोध
गौरतलब है कि एयर इंडिया को बेचने के फैसले की जांच कर रही संसदीय समिति ने इसका विरोध किया था। संसदीय समिति ने कहा था कि कंपनी ने पिछले कुछ समय से मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है इसलिए सरकार को इसे नहीं बेचना चाहिए।
कंपनी के कर्ज का 52%जिम्मा सरकार पर
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विनिवेश प्रस्ताव के अनुसार सरकार 76% हिस्सेदारी बेचने जा रही है जबकि कंपनी के कर्ज का 52% जिम्मा सरकार के पास ही रहेगा। कांग्रेस ने सवाल खड़े किए कि इस विनिवेश का प्रस्ताव ऐसा ही तैयार किया गया है। क्या ये किसी निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है?
बढ़ सकता है एयर इंडिया का किराया
मतलब एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के बाद भी निजी कम्पनियां उसके कर्ज को नहीं चुकाएगी। जब हिस्सेदारी बेचने के बाद भी कर्ज सरकार को ही चुकाना है तो हिस्सेदारी बेंची ही क्यों जा रही है? जबकि निजी कंपनियों को एयर इंडिया की सेवाएं महंगा कर लाभ कमाने का अधिकार होगा। इससे आने वाले समय में एयर इंडिया का किराया भी बढ़ सकता है।