नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतों में ऊपरी स्तर पर दबाव देखने को मिल रहा है। ब्रेंट क्रूड का दाम 22 सेंट की गिरावट के साथ 77.55 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया है। अमेरिकी कच्चे तेल यानी नायमैक्स क्रूड का भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है। ग्लोब कमोडिटीज के रिसर्च हेड तरुण सत्संगी के मुताबिक आज कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिका और चीन के बीच का ट्रेड वॉर है। इसके फिर से बढ़ने की आशंका दिखाई देती है। अमेरिका ने फिर संकेत दिया है कि वह 200 अरब डॉलर मूल्य के चीनी सामानों पर टैरिफ लगा सकता है। इस खबर से कच्चे तेल की मांग घटने की आशंका है। अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्तियां हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा कच्चे तेल की खपत इन्हीं दोनों देशों में होती है। तरण के मुताबिक, ट्रेड वॉर के अलावा एक और बात क्रूड मार्केट को खटक रही है।
वह यह है कि इस साल वैश्विक आर्थिक ग्रोथ सुस्त पड़ने का भी खतरा है। इस वजह से कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट देखने को नहीं मिली हैण् इसकी वजह यह है कि नवंबर से ईरान से क्रूड आॅयल की सप्लाई घटने का अनुमान हैं क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, वे नवंबर से लागू होंगे। सूत्रों के मुताबिक, अगस्त में ईरान से कच्चे तेल का शिपमेंट 20 लाख 60 हजार बैरल रोजाना रहा, जबकि अप्रैल में ईरान से कच्चे तेल का निर्यात रोजाना 30 लाख 90 हजार बैरल था।
इस महीने 4 फीसदी चढ़ा कच्चा तेल
इस महीने कच्चे तेल की कीमतों में शानदार तेजी दर्ज की गई है। अगस्त में ब्रेंट क्रूड का भाव 4 फीसदी और डब्ल्यूटीआई क्रूड का भाव 2 फीसदी चढ़ा है।
तेल के ऊंचे दामों को लेकर बनी रहेगी फिक्र - आईईए
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कहा है कि 2018 में कच्चे तेल के दाम और बढ़ने के आसार हैं। कुछ समय के लिए ये दाम 75 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर जा सकते हैं। दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण ऐसा होने की संभावना है। इनमें ईरान पर प्रतिबंध और वेनेजुएला के उत्पादन में गिरावट भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के कार्यकारी निदेशक फैथ बिरॉल ने कहा कि इस साल के आखिर में दुर्भाग्य से विश्व को बाजार में और तंगी देखने को मिल सकती है जिससे दामों पर दबाव बढ़ेगा।
अगर पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों का संगठन (ओपेक) उत्पादन में बड़े इजाफे का संकेत नहीं देता है तो ऐसा हो सकता है। उन्होंने इशारा किया कि कुछ वक्त के लिए दाम प्रति बैरल 75 डॉलर से ऊपर रह सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर के स्तर की ओर बढ़ते हुए 77.38 डॉलर प्रति बैरल पर जा चुके हैं। जो इस बात का संकेत है कि ईरान के प्रतिबंधों से वैश्विक आपूर्ति सीमित हो सकती है जबकि अमेरिका का वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चा तेल एक समय पर 69.84 डॉलर के स्तर पर था।
बिरॉल ने नई दिल्ली में ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) द्वारा ऊर्जा पर आयोजित एक बैठक के मौके पर अलग से बातचीत में कहा भारत और अन्य आयातक देशों को विश्वास दिलाते हुए काश मैं आपसे यह कह सकता कि हम कच्चे तेल के दामों में गिरावट के रुख की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन असलियत में जो तस्वीर हमें दिख रही है वह इसके उलट है। इसका एक कारण यह है कि इस साल और अगले साल तेल की मांग में काफी मजबूत इजाफा नजर आ रहा है जो करीब 15 लाख बैरल प्रतिदिन है। यह ऐतिहासिक रूप में औसत से बहुत ज्यादा है।