कोच्चि। देश में लाल मिर्च की कीमतें अगले कुछ महीनों तक स्थिर रह सकती हैं। निर्यात मांग में कमी और कपास के मुकाबले मिर्च की बुआई में किसानों की दिलचस्पी बढ़ने से इस साल मध्यप्रदेश में अच्छी पैदावार हुई है। इससे पहले इंडस्ट्री का दावा था कि स्टॉक घटने और निर्यात मांग बढ़ने से मिर्च की कीमतें बढ़ सकती हैं। लाल मिर्च की कीमत 110 रुपए किलो तक जाने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में इसमें 5 रुपए की कमी आई है।
विजय कृष्ण स्पाइस फार्म के मैनेजिंग डायरेक्टर रविपति पेरिया ने बताया कर्नाटक और तेलंगाना के बड़े हिस्से में कपास के मुकाबले मिर्च की बुआई में किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है। कीटों के हमले से कपास की फसल को नुकसान पहुंचा था इन दोनों राज्यों में लाल मिर्च की बुआई करीब 30 फीसदी से ज्यादा हिस्से में पूरी हो गई है। इसके सबसे बड़े उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश में इस महीने बुआई शुरू होने की उम्मीद है। पेरिया ने बताया कि रकबा बढ़ने से कीमतों में थोड़ी कमी आ सकती है। मध्यप्रदेश में भी इस बार बेहतर पैदावार के अनुमान से कीमतों पर दबाव है।
नवंबर में मिर्च की पहली फसल तैयार हो जाएगी। वहीं, देश के दूसरे प्रमुख उत्पादक इलाकों में यह फरवरी में तैयार हो जाएगी। मसालों का निर्यात करने वाली कंपनी पेपरिका ओलियोज के डायरेक्टर ए पी मुरुगन ने बताया मध्यप्रदेश में अच्छी बुआई हुई है। अब तक यहां अच्छे पैदावार के संकेत मिल रहे हैं। पिछले दो साल में कीड़ों से होने वाली परेशानी के चलते मध्य प्रदेश में लाल मिर्च का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था। इस समय मिर्च की मांग में भी सुस्ती है। इसके खरीदार देशों में भी काफी ज्यादा स्टॉक पड़ा हुआ है। चीन ने भी भारत से तीखी वैरायटी वाली मिर्च की खरीदारी पर रोक लगा दी है। वहां कम तीखी वैरायटी वाली मिर्च का उत्पादन बढ़ा है।
उत्पादन में कमी आने से कीमतों में तेजी के आसार
बंपर पैदावार के चलते कीमतें कम रहने से पिछले साल ज्यादातर देशों ने थोक में भारत से मिर्च की खरीदारी की। कीमतों में कमी के चलते वित्त वर्ष 2017-18 में मिर्च के निर्यात से होने वाली कमाई इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 16 फीसदी गिरकर 4256 करोड़ रुपए रह गई। हालांकि इस दौरान वॉल्यूम 11 फीसदी बढ़कर 443,900 टन हो गया। मिर्च का मौजूदा स्टॉक नवंबर तक चल सकता है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में उत्पादन में कमी आने से कीमतों में तेजी के आसार बनेंगे।