नई दिल्ली। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आज जारी किए गए आदेशानुसार एैम्बी वैली का संचालन सहारा को वापस सौंप दिया गया है और सहारा इंडिया परिवार द्वारा नियंत्रित एैम्बी वैली से रिसीवर और आॅफिशियल लिक्विडेटर हटा लिया है। कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि एैम्बी वैली से सम्बन्धित समस्त दस्तावेज व कागजात सहारा को वापस दे दिये जाएं। 10,600 एकड़ क्षेत्रफल से ज्यादा भू-भाग में विस्तृत एैम्बी वैली स्वतंत्र भारत की पहली हिल सिटी है। कोर्ट ने सहारा-सेबी प्रकरण की कल सम्पन्न हुई सुनवाई के आधार पर आज यह आदेश जारी किया।
सहारा इंडिया परिवार को मिली बड़ी राहत
सहारा की ओर से पैरवी कर रहे वकील विकास सिंह ने कहा कि सहारा ने हमेशा न्यायालय में यही कहा है कि सहारा ने अपने निवेशकों को रिफंड कर दिये हैं। जो राशि सहारा ने सहारा-सेबी खाते में जमा करायी है वह एक देनदारी के प्रति दूसरी बार अदायगी है। इस तरह सेबी के पास अब सहारा के लगभग 20,000 करोड़ रुपए हैं। सेबी को निवेशकों के सत्यापन का कार्य इस दौरान आरम्भ करना चाहिए। एक बार सत्यापन हो जाए तो सहारा को उपरोक्त राशि ब्याज सहित वापस मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब माननीय न्यायालय ने सेबी को सत्यापन का निर्देश दिया है तो फिर सेबी सत्यापन प्रक्रिया का आरभ्म क्यों नहीं कर रहा है?
कल की सुनवाई में यह भी चर्चा की गई कि सहारा के पास अपनी देनदारी के प्रति 3 गुना परिसम्पत्तियां हैं। सहारा के वकील विकास सिंह ने कहा कि यह तथ्य सत्य है और हाल ही में जारी विज्ञापन में जो कहा गया है वो एकदम सत्य है। 31 दिसम्बर, 2014 को सहारा समूह की कुल देनदारी रू. 62,104 करोड़ थी जबकि इसकी परिसम्पत्तियां रू. 1,77,229 करोड़ की थीं। आज के समय में इन आंकड़ों का अनुपात लगभग समान ही है।
सहारा की इस याचिका पर कि उसके निदेशकों पर लगी पुलिस की निजी सुरक्षा हटा ली जाए, सेबी ने आपत्ति प्रकट की और कहा कि चूंकि वे परोल पर हैं, अत: सुरक्षा रहनी चाहिए। सेबी के इस तर्क की प्रतिक्रिया में पीठ ने कहा, व्यावहारिक बात करिए और जब सहारा ने 20,000 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं, तो आपको क्या लगता है कि वे कुछ हजार करोड़ रूपयों के लिए भाग जाएंगे।
सहारा के वकील गौतम अवस्थी ने बताया कि कुछ माह पूर्व माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देशित किया था कि यदि सहारा रू. 750 करोड़ की धनराशि जमा करा देता है तो कोर्ट एैम्बी वैली का सम्पूर्ण नियंत्रण सहारा को वापस देने पर विचार कर सकता है। सहारा ग्रुप ने सूचित किया कि दो फर्म साई रिदम रियलटॅर्स प्राइवेट लिमिटेड व प्राइम डाउन टाउन रीयल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड सहारा की मुम्बई के निकट वसई स्थित सम्पत्ति को लगभग रू. 1000 करोड़ में खरीदने को तैयार हैं तथा उक्त धनराशि सहारा-सेबी खाते में जमा करा दी जाएगी।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इसका संज्ञान लेते हुए एैम्बी वैली से रिसीवर और आॅफिशियल लिक्विडेटर हटा लिया है और एैम्बी वैली का नियंत्रण सहारा इंडिया परिवार को पुन: दे दिया है। तत्पश्चात पीठ ने दोनों फर्म को रू. 99 करोड़ का डिमाण्ड ड्राफ्ट जमा कराने व शेष राशि को जमा कराने की समय सीमा निर्धारित की। पीठ के आदेशानुसार इन दोनों फर्म को रू. 200 करोड़ की धनराशि सहारा-सेबी खाते में 24 जुलाई तक तथा दूसरी रू. 200 करोड़ की धनराशि 16 अगस्त तक जमा करानी होगी। शेष धनराशि 12 सितम्बर तक जमा करने को कहा, साथ ही दोनों फर्म को यह चेतावनी भी दी कि किसी प्रकार का डीफॉल्ट निंदा के समकक्ष होगा व जमा की गई राशि जख्त कर ली जाएगी।
सेबी को कोई भी आवेदक नहीं मिला
इसी अवधि में एैम्बी वैली की बिक्री से सम्बन्धित आॅफिशियल लिक्विडेटर द्वारा की गई नीलामी की सभी प्रक्रियाओं के बावजूद सेबी को कोई भी आवेदक नहीं मिला। सहारा के वकील गौतम अवस्थी ने कहा कि ‘रीयल एस्टेट मार्केट के विशेषज्ञों की यह बात सत्य सिद्ध होती है’ कि विश्व की इतनी विशाल अचल सम्पत्ति को दुनिया की कोई एक संस्था खरीद नहीं सकती है।
- गौतम अवस्थी सहारा के वकील