नई दिल्ली। डिफॉल्टर्स से बचने के लिए गुजरात के कुछ बैंक चेहरा पढ़कर लोगों की पहचान करने की तैयारी कर रहे हैं। बैकों ने गुजरात फरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से इस मामले में मदद मांगी है। बैंकों का कहना है कि यूनिवर्सिटी एक माइक्रो एक्सप्रेशन मैन्युअल उपलब्ध कराए जिससे वे अपने कर्मचारियों को माल्या जैसे लोगों की पहचान करने की ट्रेनिंग दे सकें। माइक्रो एक्सप्रेशन सेकंड के 25वें हिस्से में चेहरे के भावों में होने वाले बदलाव हैं। ये अनैच्छिक होते हैं और व्यक्ति की सही भावनाओं को प्रकट करते हैं।
ये बदलाव किसी बात को जानबूझकर छिपाने की वजह से भी होते हैं। माइक्रो एक्सप्रेशन को कोई छिपा नहीं सकता। बैंकों की यह योजना पिकासो के क्यूबिजम सिद्धांत से प्रेरित है। 20वीं शताब्दी में मॉडर्न आर्ट मूवमेंट में पेंटिंग में पूरी वस्तु न होकर इसे टूटे हुए रूप में देखा जाता था और फिर इकट्ठा करके वस्तु रूप दिया जाता था।