नई दिल्ली। रुपए में गिरावट का असर भारत से चावल के निर्यात पर भी पड़ा है। इस हफ्ते देश में चावल के भाव एक साल में सबसे कम स्तर पर आ गए। इसकी वजह डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी है। इसके अलावा मांग भी कमजोर बनी हुई है। नई आवक से थाईलैंड में भी चावल की कीमतों में कमजोरी है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि थाइलैंड दूसरे नंबर पर है। थाईलैंड में पांच फीसदी टूटे बेंचमार्क चावल के दाम पिछले सप्ताह के 390-400 डॉलर प्रति टन से गिरकर 385-395 डॉलर प्रति टन पर आ गए। नवंबर 2017 के बाद से यह स्तर पहली बार देखा गया। बैंकॉक में एक व्यापारी ने कहा कि थाईलैंड की करेंसी में भारी गिरावट से कीमतें घटीं हैं।
मानसून सीजन की वजह से धीमी ढुलाई भी परेशानी का सबब है। भारत के पांच फीसदी टूटे किस्म वाले चावल के दाम दो डॉलर तक गिरकर प्रति टन 392-396 डॉलर पर आ गए हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया लुढ़ककर रिकॉर्ड निम्नतम स्तर पर चला गया। इससे कारोबारियों ने दामों में कटौती की है। 2018 में भारतीय रुपए में अब तक करीब आठ फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।
इस कारण विदेश में चावल बेचने से निर्यातकों का लाभ बढ़ रहा है। आंध प्रदेश में काकीनाडा के एक निर्यातक ने कहा कि दाम 400 डॉलर से भी नीचे आने के बावजूद मांग अब भी कमजोर है। व्यापारियों ने कहा कि स्थानीय उत्पादन में फिर से सुधार होने के बाद बांग्लादेश ने चावल के आयात पर 28 फीसदी की ड्यूटी लगाई है। इससे पड़ोसी देश को भारत से चावल के निर्यात में तेज गिरावट आई है। 2017 में बांग्लादेश ने सबसे ज्यादा चावल भारत से खरीदा था।