नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार बाजार में सेवा प्रदाताओं के बीच जारी गलाकट प्रतिस्पर्धा से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है तथा दूरसंचार उद्योग में विलय एवं अधिग्रहण जोरशोर से जारी है जबकि इस प्रतिस्पर्धा की वजह से चार वर्षो में कॉल दरों में औसतन 67 प्रतिशत और डाटा टैरिफ में 93 फीसदी की कमी आयी है।
संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने मौजूदा सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान अपने मंत्रालय की उपलब्धियों पर संवाददाताओं से चर्चा में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में दूरसंचार इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं पर सरकारी व्यय वर्ष 2009-14 के 9,900 करोड़ रुपए से छह गुना बढ़कर 60 हजार करोड़ रुपये पर पहुँच गया है। वर्ष 2015-16 में दूरसंचार क्षेत्र में 1.3 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था जो वर्ष 2017-18 में दिसंबर 2017 तक करीब चार गुना बढ़कर 6.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
उन्होंने कहा कि इस अवधि में देश में दूरसंचार घनत्व 75 फीसदी से बढ़कर 93 फीसदी हो गया है और इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या भी 25.1 करोड़ की तुलना में 75 फीसदी बढ़कर 44.6 करोड़ पर पहुंच गयी है। मोबाइल टावरों संख्या भी 7.9 लाख से बढ़कर करीब 18 लाख हो गयी है। उन्होंने कहा कि इस अवधि में पूरे देश में आॅप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क भी सात लाख किलोमीटर से बढ़कर 14 लाख किलोमीटर हो गया है तथा ब्रॉडबैंड ग्राहकों की संख्या भी 6.1 करोड़ से सात गुना बढ़कर 41.2 करोड़ पर पहुँच गयी है। वर्ष 2015-2016 की अवधि के दौरान भारत के इंटरनेट ट्रैफिक में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप देश के सकल घरेलू उत्पाद में 103.9 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।