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कपास निर्यात 4 साल में सबसे अधिक रहने की उम्मीद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 12 2018 10:27AM | Updated Date: Jun 12 2018 10:28AM
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मुंबई। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कपास की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और अमेरिका एवं चीन जैसे प्रमुख कपास उत्पादक देशों में प्रतिकूल मौसम से भारत के कपास निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीदें जगी हैं। विश्लेषक और कारोबारी जगत कपास वर्ष (अक्टूबर से सितंबर) 2017-18 के लिए निर्यात के अनुमानों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। अब कपास का निर्यात 75 लाख गांठों पर पहुंचने का अनुमान है, जो 2013-14 के बाद सबसे अधिक है। निर्यातकों का मार्जिन भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। इस समय निर्यात हो रहे कपास की एफओबी कीमत 83.78 सेंट है, जबकि अमेरिका के बेंचमार्क आईसीई फ्यूचर में कपास की कीमत 89 से 90 सेंट है। 
 
एक निर्यातक ने कहा कि पहले इतना मार्जिन कभी नहीं मिला। वह सूती धागे के निर्यात पर ध्यान दे रहे हैं, जिसे कपास के विकल्प के रूप में तरजीह दी जा रही है। इसकी वजह यह है कि पिंक बॉलवर्म के प्रकोप की वजह से इस सीजन में भारत के कपास की गुणवत्ता अव्वल दर्जे की नहीं थी। मार्च में सूती धागे का निर्यात 15.8 करोड़ किलोग्राम रहा, जो दिसंबरए 2016 के बाद सर्वाधिक है।
 
एडलवाइस एग्री सर्विसेज ऐंड क्रेडिट की शोध प्रमुख प्रेरणा देसाई ने कहा चालू कपास सीजन में भारतीय कपास के दाम लगातार कमजोर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह पिंक बॉलवर्म से फसल को नुकसान की शुरूआती खबरें थीं। वैश्विक कीमतों में भारी बढ़ोतरी और भारतीय रुपए के अवमूल्यन से भारतीय कपास की वैश्विक बाजारों में मुकाबले की क्षमता में इजाफा हुआ है। इससे कपास का ज्यादा निर्यात होगा। चालू सीजन में अक्टूबर से अप्रैल तक भारत से करीब 61 लाख गांठों (प्रत्येक 170 किलोग्राम) का निर्यात हुआ है। यह पूरे वर्ष में बढ़कर 70 से 75 लाख गांठ तक पहुंच सकता है। 
 
निर्यात 75 लाख गांठों के स्तर पर पहुंचने का अनुमान
भारतीय कपास संघ के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने कहा भारत में कपास की कमी पहले के अनुमानों से ज्यादा रहने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि निर्यात 75 लाख गांठों के स्तर पर पहुंच सकता है जबकि पहले यह 65 लाख ही रहने का अनुमान था। वहीं आयात पहले 20 लाख गांठ रहने का अनुमान था, जिसे घटाकर अब 10 से 12 लाख गांठ कर दिया गया है। भारत में कपास की कुल उपलब्धता में करीब 20 लाख गांठों की कमी आएगी। गनात्रा ने कहा अगला सीजन अक्टूबर के मध्य में शुरू होगा क्योंकि इस सीजन में अगेती बुआई नहीं हुई है। करीब 10 फीसदी कपास की बुआई बारिश शुरू होने से पहले ही हो जाती है। यह मुख्य रूप से सिंचित इलाकों में होती है। 
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