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देश के 94 फीसदी आईटी पासआउट नौकरी लायक नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 5 2018 2:50PM | Updated Date: Jun 5 2018 2:51PM
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नई दिल्ली। टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी का कहना है कि 94 फीसदी आईटी ग्रैजुएट भारतीय बड़ी आईटी कंपनियों में नौकरी के लिए योग्य नहीं हैं। गुरनानी टेक महिंद्रा में अगले स्तर के विकास की नींव रख रहे हैं। वे टेक महिंद्रा की अगली जनरेशन का रोड मैप तैयार करने में व्यस्त हैं। गुरनानी कहते हैं कि मैनपावर स्किलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉकचेन, साइबर सिक्यॉरिटी, मशीन लर्निंग जैसी नई टेक्नॉलजी में प्रवेश करना भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती है। उन्हें लगता है कि इन सब बातों को देखते हुए जब नौकरी की बात आती है, तो बड़ी आईटी कंपनियां 94 फीसदी आईटी ग्रैजुएट भारतीयों को इसके लिए योग्य नहीं मानती हैं। 
 
गुरनानी कहते हैं कि मैं आपको दिल्ली जैसे शहर का एक उदाहरण देता हूं। आज यहां 60 फीसदी नंबर पाने वाला छात्र बीए इंग्लिश में दाखिला नहीं पा सकता, लेकिन वह इंजीनियरिंग में जरूर दाखिला पा जाएगा। मेरा मुद्दा सरल है कि क्या हम बेरोजगारी के लिए लोगों को नहीं बना रहे हैं? भारतीय आईटी इंडस्ट्री स्किल चाहती है। 
 
हमारे पास स्किल की कमी 
गुरनानी ने बताया कि नासकॉम का कहना है कि 2022 तक साइबर सिक्यॉरटी में करीब 6 मिलियन यानी 60 लाख लोगों की आवश्यकता है, लेकिन हमारे पास स्किल की कमी है। मुद्दा यह है कि अगर मैं रोबोटिक्स व्यक्ति की तलाश में हूं और इसकी बजाय मुझे मेनफ्रेम का व्यक्ति मिलता है, तो यह स्किल गैप बनाता है। यह एक बड़ी चुनौती के रूप में आता है। 
 
टेक महिंद्रा के सीईओ कहते हैं कि आप टेक महिंद्रा आएंगे, तो देखेंगे कि मैंने पांच एकड़ का टेक और लर्निंग सेंटर बनाया है। अन्य टॉप कंपनियों ने भी कर्मचारियों की स्किल के लिए इस तरह की सुविधाएं बनाई हैं। सीखने की योग्यता, स्किल डेवलपमेंट और बाजार के लिए तैयार होने का भार इंडस्ट्री पर शिफ्ट हो रहा है। इन सबके बावजूद टॉप 10 आईटी कंपनियां केवल 6 फीसदी इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स को लेती हैं। गुरनानी खुद सवाल करते हैं कि बाकी 94 फीसदी का क्या होता है? 
 
अब 25 फीसदी कम लोगों की जरूरत 
इन चीजों का भर्ती पर असर पड़ने को लेकर वे कहते हैं कि हायरिंग पर असर पड़ रहा है। एक कारण यह है कि समीकरण अब लंबी लाइन का नहीं है। उदाहरण के लिए पहले प्रत्येक मिलियन डॉलर रेवेन्यू के लिए 20 लोगों को रखा गया था। प्रोडक्टिविटी, आॅटोमेशन और उपकरणों में बढ़ोतरी के कारण समीकरण बदल रहा है। अब उतने ही मिलियन डॉलर के लिए 15 नई नौकरियां हैं। अब आपको 25 फीसदी कम लोगों की जरूरत है। 
 

 

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