नई दिल्ली। सरकार देश भर के गन्ना किसानों को बड़ी राहत देते हुए उनके बकाये के भुगतान के लिए जल्द ही उन्हें 8000 करोड़ रुपए से अधिक का पैकेज देगी। सूत्रों ने बताया कि गन्ना किसानों के लिए जल्द ही 8000 करोड़ से अधिक का पैकेज दिया जाएगा। इस पैकेज से गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। इस प्रस्तावित पैकेज में 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने का खर्च भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए गन्ना किसानों के खाते में सीधे पैसों का हस्तांतरण किया जाएगा। यह बपुर स्टॉक बनने से गन्ना किसानों का बकाया चुकता होगा और बाजार में मांग एवं आपूर्ति का संतुलन बनाये रखकर चीनी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित होगी। बफर स्टॉक बनाने और इसके रखरखाव में लगभग 1200 करोड़ की लागत आने का अनुमान है।
इस पैकेज में देश में एथनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए 4400 करोड़ रुपए की बड़ी योजना भी शामिल है। इससे 6 फीसदी ब्याज की छूट देने का प्रस्ताव रखा है। सूत्रों के मुताबिक ब्याज पर दी गई छूट का खर्च भी सरकार पर 1,200 करोड़ का आएगा। सरकार चीनी की कम से कम कीमत लगभग 29 रुपए तय करने पर भी विचार कर रही है ताकि गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान किया जा सके। इसके अलावा साल भर चीनी की खुदरा कीमतें नियंत्रित रखने और पर्याप्त आपूर्ति के लिए भी एक प्रणाली विकसित करनी होगी।
केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देने के लिए पिछले चार-छह माह में कई उपाय किये हैं और यह पैकेज भी उसकी कड़ी में उठाया गया अगला कदम है। सरकार पहले ही चीनी का आयात शुल्क 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर चुकी है और निर्यात शुल्क हटा दिया है। सरकार ने मिलों का न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा 20 लाख टन कर दिया है और प्रति ंिक्वटल गन्ना पेराई पर 5.50 रुपए की वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया है।
साल 2017-18 में गन्ने की रेकॉर्ड पैदावार हुई है और इसी अनुपात में 315 लाख टन चीनी उत्पादन भी हुआ है। चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी कीमतें कम होने से घरेलू बाजार में भी इसके दाम गिरे हैं। ऐसे में गन्ना किसानों की हालत बदतर होती जा रही है। देश भर के गन्ना किसानों का मिलों पर 20000 करोड़ रुपये बकाया है।
चीनी उद्योग कृषि पर आधारित एक महत्वपूर्ण उद्योग है और इससे लगभग पांच करोड़ गन्ना किसानों की आजीविका प्रभावित होती है। इसके अलावा पांच लाख कर्मचारी सीधे तौर पर चीनी मिलों में काम करते हैं। विश्व में ब्राजीन के बाद भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। वर्तमान में देश के चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन करीब 80 हजार करोड़ रुपये का है।