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भारी कर्ज में फंसे छोटे बैंकों की मदद करेंगे बड़े बैंक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 3 2018 1:18PM | Updated Date: Jun 3 2018 1:18PM
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नई दिल्ली। छोटे सरकारी बैंकों की पूंजी की जरूरतों को कम करने के लिए सरकार ने एसबीआई जैसे बड़े बैंकों से उनके फंसे हुए लोन का बोझ वहन करने को कहा है। बैड लोन को लेकर रिजर्व बैंक के नए प्रावधानों के चलते भी छोटे सरकारी बैंकों को मार झेलनी पड़ी है। सूत्रों ने बताया कि जो बैंक आरबीआई की तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) योजना का हिस्सा हैं, उन्हें कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों के ऋण से छुटकारा पाने की सलाह दी जा रही है। आरबीआई का मानना है कि ऐसी कंपनियों को दिए गए लोन अधिक जोखिम वाले हैं। 
 
ऐसा इसलिए है, क्योंकि वित्त मंत्रालय ने 2.1 लाख करोड़ रुपए की पुन: पूंजीकरण योजना के हिस्से के रूप में घोषित 65,000 करोड़ रुपए से अधिक किसी भी नए फंड से इनकार कर दिया है। इसके अलावा बैंकों को नॉन कोर होल्डिंग्स बेचने के लिए भी कहा जा रहा है, जिनमें म्यूचुअल फंड, बीमा और देश भर के प्रमुख स्थानों पर अचल संपत्तियों में हिस्सेदारी शामिल हैं। सरकार के स्वामित्व वाले ज्यादातर बैंक जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान रेड सिग्नल पर रहने की वजह से परेशानी में हैं। पिछले वित्त वर्ष के दौरान उनका संचित नुकसान 73,000 करोड़ रुपए तक बढ़ गया और उनका संयुक्त खराब ऋण 8.5 लाख करोड़ रुपए पार हो गया है।
 
बैंकों को अपनी कोर-एसेट्स से अलग संपत्तियों को बेचकर अपनी स्थिति सुधार सकते हैं। पूंजी बचाने के लिए एक तरीका कॉपोर्रेट उधार देना बंद करना है, सरकार इसे विकल्प के रूप में नहीं देखती है। ग्रोथ के संकेत और निवेश के संकेत से आने वाली तिमाहियों में सुधार की उम्मीद है। इसकी बजाय अधिकारियों का कहना है कि जोखिम भरी संपत्ति की बिक्री एक बेहतर विकल्प है, जो रेखांकित करता है कि कमर्शल टर्म्स पर लेन-देन होगा। 
 
आंध्रा बैंक या देना बैंक जैसे छोटे बैंकों को एसबीआई या बैंक आॅफ बड़ौदा को अपने ऋण बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। एक सूत्र ने कहा, 'यह दबाव को कम करेगा और बड़े ऋणदाताओं को अपनी स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करेगा।' हालांकि, बैंकरों का कहना है कि बड़े खिलाड़ियों की ऐसी इच्छा नहीं है और वित्त मंत्रालय के आदेश के बिना चीजें आगे नहीं बढ़ सकती हैं।
 
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