नई दिल्ली। केंद्र के एनडीए सरकार के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार का कहना है कि नोटबंदी का फायदा जितना मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिल पाया है। हालांकि उन्होंने नोटबंदी की विफलता के लिए बैंकिंग सिस्टम को जिममेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने नोटबंदी को लेकर सही से काम नहीं किया। बता दें कि नीतीश कुमार ने उस समय नोटबंदी का समर्थन किया था, जब वह एनडीए सरकार में नहीं थे।
नीतीश ने कहा कि वह खुद नोटबंदी के बड़े समर्थक थे, लेकिन अब उन्हें लगता है कि आखिर इससे कितने लोगों को फायदा मिला।
कुछ लोग अपना पैसा एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट कर ले गए। उन्होंने कहा कि देश के विकास में बैंकों की बड़ी भूमिका है। बैंकों का काम सिर्फ जमा, निकासी और लोन-देना ही नहीं रह गया है, बल्कि एक-एक योजना में बैंकों की भूमिका बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों में कर्ज लेने की आदत ज्यादा नहीं है, जो लेना भी चाहते हैं, उसके बैंकों ने कड़े मापदंड तय कर रखे हैं। उसमें उन्हें काफी परेशानी होती है।
नीतीश कुमार ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में सुधार की जरूरत है। हर आदमी के लिए एक जैसा नियम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में विकास के लिए जो धनराशि सरकार मुहैया कराती है, उसके सही आवंटन के लिए बैकों को अपना सिस्टम मजबूत बनाना होगा। मैं आलोचना नहीं कर रहा हूं, सिर्फ अपनी बात रख रहा हूं।
नीतीश ने कहा कि बैंकों की भूमिका दिन-ब-दिन और बढ़ेगी। नीतीश ने बैंकों से सहयोग नहीं मिलने पर भी नाराजगी भी जताई। उन्होंने कहा कि छात्र क्रेडिट कार्ड योजना के तहत प्रत्येक 100 रुपए के उधार के लिए बिहार सरकार ने 160 रुपए की गारंटी की पेशकश की है फिर भी राज्य को बैंकों का सहयोग नहीं मिल रहा है।
बैंक फ्रॉड की ओर भी इशारा
बैंकों की राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की तिमाही समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बड़े डिफाल्टर भारी कर्ज लेने में सफल रहे और उसके बाद देश छोड़कर भाग गए। जबकि, आम आदमी को लोन चुकाने के लिए कड़े नियमों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि छोटे कर्जदारों को दिए कर्ज को लेकर तो बैंक काफी सख्ती दिखाते हैं , ऐसी ही सख्ती बड़े कर्जदारों के मामले में क्यों नहीं दिखाई जाती है।