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मुद्रा लोन का एनपीए बढ़कर 14 हजार 358 करोड़ हुआ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 28 2018 10:21AM | Updated Date: May 28 2018 10:21AM
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नई दिल्ली। मुद्रा लोन में बढ़ते एनपीए ने सरकार को पसोपेश में डाल दिया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मुद्रा लोन का एनपीए अब 14 हजार 358 करोड़ का हो चुका है, यानी इस लोन को चुकाए जाने की संभावना बहुत कम है। यह राशि एनपीए के आंकड़े को और बढ़ाएगी। एनपीए को रोकने में लगे वित्त मंत्रालय और बैंकों के सामने रणनीति को लेकर चुनौती है। इस मामले में बैंकों ने सरकार और आरबीआई को साफ तौर पर बता दिया है कि मुद्रा लोन में एनपीए और बढ़ सकता है।
 
ऐसे में सरकार बताए कि मुद्रा लोन के तहत आगे क्या किया जाए? बैंकों को सरकार और आरबीआई के अगले निर्देश का इंतजार है। सूत्रों के अनुसार बढ़ते एनपीए ने मुद्रा लोन देने के तौर तरीकों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोन देने में भी गड़बड़ी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वित्त मंत्रालय इस नजरिये से भी जांच करने की तैयारी में है। 
 
कितने लोगों ने शुरू किया कारोबार? 
मामला सिर्फ एनपीए का नहीं है। मुद्रा लोन को लेकर स्वरोजगार के जो दावे किए जा रहे हैं, उसकी तस्वीर भी अच्छी नहीं है। मुद्रा योजना के तहत अब तक 12 करोड़ 78 लाख लोगों को लोन दिया जा चुका है। ये लोन तीन अलग अलग कैटिगरी शिशु, किशोर और तरुण के तहत दिए गए। शिशु कैटिगरी के तहत 50 हजार रुपये तक, किशोर के तहत 5 लाख रुपये तक और तरुण के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं। 
 
किसी कारोबार को शुरू करने के लिए किशोर कैटिगरी का लोन यानी 5 से 10 लाख रुपये तक का लोन सबसे कारगर माना जाता है। लेकिन अब तक इस कैटिगरी में लोन पाने वालों की संख्या सिर्फ 1.3 फीसदी है। यानी 12 करोड़ 78 लाख लोगों में से सिर्फ 17 लाख 57 हजार लोगों को ही मोटी रकम का लोन मिला है। 
कोई हिसाब किताब ही नहीं
सूत्रों के अनुसार सरकार के पास अभी इस बात के आंकड़े भी नहीं है कि मुद्रा लोन के जरिये कितने रोजगार मार्केट में आए। जितने लोगों को मुद्रा लोन के तहत लोन दिया जा रहा है, सरकार यह मान रही है कि उतने रोजगार तो मार्केट में आ गए। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि सरकारी दबाव में भले ही बैंक मुद्रा लोन बांट रहे हों लेकिन आगे चलकर ये बैंकों के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि छोटे लोन में बैंकों को फायदा कम खर्च ज्यादा होता है
 
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