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एक बार फिर बढ़े पेट्रोल-डीजल के भाव, इंदौर में 83 रुपए पार...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 25 2018 11:26AM | Updated Date: May 25 2018 11:26AM
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नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने को लेकर सरकार ने बुधवार को  कोई फैसला नहीं लिया और पेट्रोल-डीजल भावों में इजाफा पहले की तरह जारी है। गुरुवार को एक बार फिर से पेट्रोल की कीमत देशभर में 30 पैसे और बढ़ गई, जबकि डीजल भी 19 पैसे और महंगा हो गया। इंदौर में पेट्रोल का भाव 83.17 रुपए जबकि डीजल का भाव 72.24 रुपए रहा। 
 
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान लगातार 19 दिनों तक दोनों ईंधनों के दाम में तब्दीली नहीं होने के बाद बीती 14 मई से कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला चालू है। देश की प्रमुख तेल विपणन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पेट्रोल-डीजल के दाम में इतनी तेज बढ़ोतरी को बाजार का असर बताया है।
 
उनका कहना है कि पेट्रोल-डीजल के आसमान में पहुंची कीमत के लिए कच्चे तेल की कीमत उतनी जिम्मेदार नहीं है, जितना कि केंद्र और राज्यों का कर। वर्तमान हालात में जब तक इस पर कर की दरें कम नहीं होती, तब तक कीमतें कम नहीं होंगी। उधर, सरकार की ओर से साफ संकेत मिल रहे हैं कि वह टैक्स की दरों में कोई कमी नहीं करेगी।
 
सरकार अभी इतना वसूलती है टैक्स
पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत काम करने वाले पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल पीपीएसी के मुताबिक इस समय पेट्रोल पर प्रति लीटर बेसिक एक्साइज ड्यूटी के रूप में 4.48 रुपए, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में 7.00 रुपए और रोड-इंफ्रा सेस के रूप में 8.00 रुपए वसूले जाते हैं। कुल मिला कर 19.48 रुपए का केन्द्रीय उत्पाद शुल्क। इसी तरह डीजल पर प्रति लीटर 6.33 रुपए की बेसिक एक्साइज ड्यूटी, एक रुपया एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और 8.00 रुपए रोड एवं इंफ्रा सेस देय होता है। ग्राहकों को  15.33 रुपए डीजल पर टैक्स देना पड़ता है। 
 
ओएनजीसी पर टैक्स लगाने की तैयारी
समस्या का स्थायी समाधान ढूंढ रही सरकार ओएनजीसी जैसे घरेलू तेल उत्पादकों पर अप्रत्याशित लाभ पर कर लगा सकती है। यह इस तरह का कर उपकर के रूप में आरोपित किया जा सकता है और यह कच्चे तेल के भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाते ही प्रभावी हो जाएगा। इसके तहत तेल उत्पादकों को 70 डॉलर प्रति बैरल के भाव से ऊपर की किसी भी कमाई को कर के रूप में देना होगा। इस तरह वसूल होने वाले राजस्व का उपयोग पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों की मदद के लिए किया जाएगा।
 
सिर्फ दो रुपए कम होंगे
ओएनजीसी पर  टैक्स लगाने से पेट्रोल-डीजल के दाम में दो रुपए तक कमी संभव है। राज्य सरकारों को वैट घटाने को  कहा जाएगा। 
सरकार पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों के फौरन समाधान के लिए विचार कर रही है। तेल मंत्रालय पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रहा है ताकि कीमतों में कमी लाई जा सके। इस समस्या से पार पाने में निश्चित रूप में हम रास्त तलाश लेंगे। 
-धर्मेंद्र प्रधान, तेल मंत्री
 
ऐसे बढ़ते गए पेट्रोल और डीजल के भाव
- 26 मई 2014 को सत्ता में आने के बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने पहले पेट्रोल पर से प्रशासनिक मूल्य प्रणाली को हटाया।  कुछ समय बाद तेल विपणन कंपनियों को डीजल के दाम भी अंतर्राष्ट्रीय मूल्य के आधार पर तय करने की छूट दे दी गई। 
- 16 जून 2017 से दोनों ईंधन के दाम विश्व बाजार की कीमतों के अनुसार दैनिक आधार पर तय किये जाने लगे। तेल कंपनियां वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों के अनुरुप रोजाना पेट्रोल और डीजल के दामों में संशोधन करती हैं।
- केंद्र में भाजपा सरकार के शुरुआती तीन साल के कार्यकाल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में रिकार्ड गिरावट देखी गई किंतु इसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिला। सामाजिक कल्याण के कार्यों के संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने कई बार शुल्कों में बढ़ोतरी की। 
- फरवरी 2015 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 56.49 रुपए प्रति लीटर तक नीचे आ गई और डीजल भी 16 जनवरी 2016 को 44.18 रुपए प्रति लीटर तक नीचे आया। इस वर्ष जनवरी के बाद दोनों ईंधनों की कीमत में तेजी का सिलसिला अधिक रफ्तार से शुरु हुआ। 
- इस साल छह जनवरी के बाद डीजल के दाम 60 रूपए प्रति लीटर के ऊपर निकले और इसके बाद नीचे का रुख नहीं किया। पेट्रोल के दाम भी 70 रुपए प्रति लीटर को पार करने के बाद बढ़ते चले गए । 
 
सरकार की ओर से यह आया संकेत
केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने कहा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सब्सिडी को बढ़ावा देना सरकार की समाज कल्याण की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह न टाली जा सकने वाली आर्थिक स्थिति है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम पेट्रोल और डीजल को सस्ता बेचते हैं तोे हमें सिंचाई योजनाओं, गांवों तक फ्री एलपीजी देने की उज्जवला योजना, ग्रामीण विद्युतीकरण प्रकिया, लोन के लिए मुद्रा योजना और अन्य कई योजनाओं को बंद करना पड़ेगा।
 
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