नई दिल्ली। देश के प्रगतिशील किसानों की सफलता की जानकारी अन्य किसानों को देने के उद्देश्य से दो मई को सभी ब्लॉक में किसान विकास कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन खरीफ अभियान 2018 को सम्बोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में प्रगतिशील किसान कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी और पोल्ट्री क्षेत्र में मिली सफलता की जानकारी और अनुभव को अन्य किसानों को बताएंगे। इससे आम किसानों को नवीनतम प्रौद्योगिकी से खेती की जानकारी उनके अपनी भाषा में मिल सकेगी। इस आयोजन में कृषि विभाग के अधिकारी , कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक ,कृषि विश्वविद्यालयों के विशेष जन प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे ।
उन्होंने वर्ष 2017-18 में रिकार्ड 27 करोड़ 75 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन की चर्चा करते हुए कहा कि पर्याप्त वर्षा होने और मौसम के अनुकूल रहने तथा किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों के सहयोग से ऐसा हो सका। कृषि मंत्री ने किसानों में जागरुकता लाने के लिए राज्य स्तर पर भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे किसानों की समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी । उन्होंने हरियाण में इस तरह के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि दूसरे राज्यों को इससे सीख लेनी चाहिए। सिंह ने कहा कि देश में पहले उत्पादन आधारित कृषि व्यवस्था थी जिसे अब आय आधारित कृषि व्यवस्था में बदला जा रहा है ।
इसके तहत फसलों का उत्पादन लागत घटाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जा सके । इसके साथ ही 99 ंिसचाई योजनाओं को 2019 तक पूरा कर लिया जायेगा । फसलों में संतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग के लिए 13 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया गया है और देश में बड़े पैमाने पर मृदा जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल के बाद यदि फसलों का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आता है तो किसानों को उसकी भरपायी की जाएगी ।
इस सम्बन्ध में नीति आयोग राज्यों के साथ विचार विमर्श कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में धान और गेहूं की खरीद भारतीय खाद्य निगम कर रहा है जबकि दलहनों और तिलहनों की खरीद नेफेड कर रहा है। अब मोटे अनाजों की खरीद की योजना भी बनायी जा रही है।