नई दिल्ली। कृषि से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने तैयार फलों एवं सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए दूरदराज के गांवों में सहकारी क्षेत्र में छोटे स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कराने की सिफारिश की है। हुक्मदेव नारायण यादव की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने हाल में पेश एक रिपोर्ट में फलों एवं सब्जियों को नष्ट होने से बचाने के लिए बड़े स्तर के कोल्ड चेन परियोजनाओं के साथ ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से छोटे स्तर का कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने की सिफारिश की गई है।
एक अध्ययन के अनुसार कृषि फसलों के तैयार होने के बाद खाद्यान्न, तिलहन, फलों एवं सब्जियों में चार से 16 प्रतिशत तक का नुकसान होता है, जिसकी कीमत 2014 के मूल्य सूचकांक पर करीब एक लाख करोड़ रुपए सालाना है। इसमें से अधिकांश नुकसान फलों एवं सब्जियों का ही है। कृषि मंत्रालय के नेशनल सेंटर फार कोल्ड चेन डेवलपमेंट ने देश में केवल फलों एवं सब्जियों के लिए कोल्ड चेन सुविधाओं को लेकर एक अध्ययन कराया था। इस में कहा गया कि फलों एवं सब्जियों के लिए तीन करोड़ 51 लाख 662 टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज की जरुरत है जबकि देश में इस समय तीन करोड़ 18 लाख 23 हजार 700 टन क्षमता के ही कोल्ड स्टोरेज हैं यानी 32 लाख 77 हजार टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज की कमी है। बागान या खेत से फलों एवं सब्जियों को एक निश्चित तापमान पर कोल्ड स्टोरेज तक लाने के लिए 61,826 रिफर वाहनों की जरुरत है जबकि ऐसे नौ हजार वाहन ही उपलब्ध हैं। फलों को वैज्ञानिक तरीके से पकाने के लिए 9,131 राइपंिनग चैम्बर की जरुरत है जबकि ऐसे 812 चैम्बर ही हैं। इसके अलावा दूध, मांस, समुद्री उत्पाद एवं प्रसंस्कृत उत्पादों के रखने के लिए अलग से कोल्ड स्टोरेज की जरुरत है।
कृषि मंत्रालय ने 238 कोल्ड चेन परियोजनाओं को सहायता उपलब्ध करायी है। इनमें से 113 परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं और इस वर्ष फरवरी से इनका व्यावसायिक उपयोग शुरू हो गया है। एक कोल्ड चेन परियोजना से करीब एक सौ लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है जबकि करीब 500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। एक कोल्ड चेन परियोजना से करीब 500 फल और सब्जी उत्पादक किसान जुड़े होते हैं जबकि इसी तरह की परियोजना से डेयरी और मत्स्य क्षेत्र के 5,000 लोग जुड़े होते हैं।
समिति ने कहा है कि 2012 में कोल्ड चेन समेत आपूर्ति चेन में निवेश को बढ़ावा देने के लिए योजना आयोग के सदस्य सैमित्रा चौधरी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी थी जिसने कहा था कि देश में 3.7 करोड़ टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज की कमी है। इसके बाद कोल्ड स्टोरेज को लेकर वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री कार्यालय ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2.9 करोड़ टन के कोल्ड स्टोरेज की कमी है। समिति ने सिफारिश की कि अगले पांच साल में 75 लाख टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जाये जिसके लिए 6,100 करोड़ रुपये की जरुरत होगी ।