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अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर के कारण संकट में वैश्विक अर्थव्यवस्था

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 17 2018 2:38PM | Updated Date: Apr 17 2018 2:38PM
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अमेरिका में ट्रंप सरकार के काबिज होने के बाद वैश्विक स्तर पर कई बदलाव होना शुरू हो गए हैं। ये बदलाव उस बुरे दौर की तरफ इशारा कर रहे हैं यहां दुनियाभर के देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो सकती है। दरअसल, अर्थव्यवस्था पर ये संकट अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुए ट्रेड व़ॉर के कारण पैदा हुआ है। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। शुरू में लगा कुछ मसलों पर मतभेद उभर आए हैं जो आपसी बातचीत से सुलझा लिए जाएंगे, लेकिन दुर्भाग्य से दोनों पक्ष ज़िद पर अड़ गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सख्त लहजे में कहा कि अगर चीन ने व्यापार करने के अपने तरीकों में बदलाव नहीं किया तो वह उस पर 100 अरब डॉलर का टैरिफ लगा देंगे। इससे एक दिन पहले  चीन ने 50 अरब डॉलर मूल्य के 106 अमेरिकी उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का फैसला किया। मार्च में ट्रंप ने चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर यानी 3910 अरब रुपए का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इससे बौखलाए चीन ने भी उन अमेरिकी उत्पादों की लिस्ट जारी की, जिन पर वह भारी-भरकम आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है। बहरहाल ट्रंप की धमकी के बाद चीन ने अगले दिन कहा कि वह अमेरिका का हर फैसले का मुहतोड़ जवाब देगा।
अमेरिका ने अब तक कई बार चीन पर टैरिफ लगाया है। उसका तर्क है कि चीन गैर-कानूनी तरीके से व्यापार करता है और उसकी इन गतिविधियों ने अमेरिका में हजारों लोगों की नौकरियां छीन ली हैं। ऐसे में अपने व्यापार को बचाने के लिए उसे यह सही कदम लगता है। अपने हितों की रक्षा के लिए अमेरिका ने पूरी विश्व अर्थव्यवस्था को संकट में डाल दिया है। 
माना जा रहा है कि ट्रंप ने जब से सत्ता संभाली है, उनका ध्यान सिर्फ अपने वोट बैंक को संतुष्ट करने पर रहता है। वे यह भूल गए हैं कि अमेरिका की अगुआई में ही दुनिया ने उदार अर्थव्यवस्था और भूमंडलीकरण की ओर कदम बढ़ाए हैं। आज वैश्विक कारोबार की दिशा को अचानक पीछे की ओर लौटाया नहीं जा सकता। ट्रेड वॉर से विश्व में संरक्षणवाद की प्रवृत्ति बढ़ेगी। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी, आर्थिक विकास कम होगी और ट्रेडिंग साझेदार देशों के रिश्ते बिगड़ेंगे।
इस टकराव का एक कूटनीतिक पहलू भी है। चीन को इस प्रकरण में रूस का साथ मिल रहा है। दोनों देश आपसी संबंधों और व्यापारिक रिश्तों को सुधारने की कोशिश में हैं और ट्रेड वॉर में भी वे अमेरिका के खिलाफ एकजुट हैं। इस कारोबारी टकराव का भारत पर सीधा असर भले न हो, लेकिन परोक्ष रूप से अर्थव्यवस्था प्रभावित जरूर होगी। एसोचैम का कहना है कि भारत अगर अपना आयात संभाल लेता है तो भी निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि एक्सचेंज रेट्स भी बढ़ेंगे। विश्व बिरादरी को इस मामले में मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए। उसे चीन और अमेरिका दोनों पर दबाव डालकर इस टकराव को समाप्त करने की पहल करनी चाहिए। विश्व व्यापार संगठन और अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थाएं भी इसमें हस्तक्षेप कर सकती हैं। 
 
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