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अनार सुधारेगा किसानों की सेहत, जानें कैसे?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 4 2018 5:42PM | Updated Date: Apr 4 2018 5:42PM
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नई दिल्ली। अपने लाल रंग के कारण देखने में आकर्षक और कई पोषक तत्व से भरपूर अनार न केवल रोगों से लड़ने में सहायक है बल्कि इसकी खेती करने वाले किसानों के लिये भी यह बहुत फायदेमंद है। अनार विटामिन और खनिज पदार्थो का भंडार है। इसके छिलके से कई प्रकार की दवाओं का निर्माण भी किया जाता है। यह विटामिन सी का बहुत बड़ा स्रोत है। इस के फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं। अनार के रस में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन , 14.5 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट , 5.1 प्रतिशत रेशा, 0.7 प्रतिशत खनिज लवण, 0.1 प्रतिशत वसा पाया जाता है । इसके रस में 78 प्रतिशत नमी की मात्रा होती है।  कृषि वैज्ञानिकोंं के अनुसार इसके एक सौ ग्राम दाने में 70 मिली ग्राम फास्फोरस ,44 मिलीग्राम मैग्नेशियम, 133 मिलीग्राम पोटाश, 10 मिलीग्राम कैल्शियम, 1.79 मिलीग्राम लोहा, 0.9 मिलीग्राम सोडियम, 0.34 मिली ग्राम कॉपर, 16 मिलीग्राम विटामिन सी, 0.06 थायमीन, 0.1 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन  और 0.3 मिलीग्राम नियासीन होता है। अनार के छिलके में पाये जाने वाले एक्लेनाइड से दवाओं का निर्माण होता है। 

 

वैज्ञानिक तरीके से मिलेगा लाभ

किसानों के लिए वैज्ञानिक ढंग से अनार की व्यावसायिक खेती काफी लाभदायक है। अनार का औसत उत्पादन लगभग 20 टन प्रति हेक्टेयर होता है । इसका पौधा लगाने के चार साल बाद फल देने लगता है और करीब दस वर्ष तक पौधे का विस्तार होता है और उत्पादन बढ़ता है। इसका पौधा लगभग 30 साल तक अच्छा उत्पादन देता है लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट शुरु हो जाती है जो किसानों के लिए घाटे का सौदा हो जाता है। अनार का पौधा साल में दो बार फलता है और इसके फल करीब पांच माह में तैयार हो जाते हैं। 

इन किस्मों से मिलेगा फायदा

अनार की ढोकला ,अलांडी , ज्योति , अरक्ता , गणेश , मस्कट लाल , स्पेनिश रुबी , आदि किस्मों को किसान आम तौर पर लगाते हैं । वैज्ञानिक तरीके से अनार की बागवानी करने पर इसके एक फल का वजन 750 ग्राम तक पहुंच जाता है । इसका छिलका काफी सख्त होता है जो अधिक दिनों तक इसके दाने को ताजा बनाये रखता है और लम्बी दूरी तक इसका परिवहन भी किया जाता है । अनार की बागवानी करने वाले किसान इसमें फल लगने से पहले तक सब्जियों की खेती आसानी से कर सकते हैं जो उनकी आय को निरंतर बनाये रखती है ।

इन राज्यों में ज्यादा पैदावार

अनार की बागवानी सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। महाराष्ट्र में बडे पैमाने पर किसान अनार की व्यावसायिक खेती करते हैं। आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक ,राजस्थन , गुजरात और तमिलनाडु में भी इसके बाग हैं। अनार के पौधे में सूखा सहन करने की क्षमता होती है लेकिन पौधों की अच्छी बढ़वार और बेहतर उत्पादन के लिए समय समय पर इसके बाग की ंिसचाई की जानी चाहिए। अनार के बाग में कीट और बीमारियों का अधिक प्रकोप होता है जिसके लिए इसके साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। इसके पौधे पर छाल छेदक कीट , तना छेदक कीट , मिलीबग , फल छेदक मक्खी और तितली आदि का प्रकोप होता है जिसे समय से नियंत्रित किया जा सकता है। वैज्ञानिक तरीके से अनार की बागवानी से न केवल फलों का भरपूर उत्पादन होता है बल्कि इस फल का हमेशा मांग रहने के कारण बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है । देश के कुछ हिस्सों में किसान इजरायल की तकनीक से अनार की बागवानी कर रहे हैं ।

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