नई दिल्ली। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों से अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं कर 'जैविक कृषि क्रांति' करने का अनुरोध करते हुए बुधवार को कहा कि इससे उनकी आय बढ़ेगी। सिंह ने यहां उद्योग संगठन एसोचैम की ओर से जैविक खेती पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा जैविक उत्पादक देश है। दुनिया में लोगों के खानपान का तरीका बदल रहा है और लोग जैविक उत्पादों को अपने आहार का हिस्सा बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों में मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता आयी है और वे वैज्ञानिक तरीके से जैविक खेती कर रहे हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि यह सही है कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से उत्पादन काफी बढ़ा है लेकिन अब इस पर सवाल उठाये जा रहे हैं क्योंकि बड़े भू-भाग में मिट्टी पर इसका बुरा असर हुआ है। देश में करीब 22.5 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत संस्थागत रुप से ढाई लाख हेक्टेयर में किसान जैविक खेती कर रहे हैं ।
सिंह ने कहा कि सरकार ने देश में जैविक खेती को बढावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना शुरु की है और इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया है। जैविक खेती करने वाले किसान समूहों को तीन वर्ष की अवधि तक प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। अब तक करीब 8,000 किसान समूहों का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2022 तक देश में यूरिया का उपयोग आधा करना चाहते हैं और ऐसा सभी पक्षों के सहयोग से हो सकता है। नीम लेपित यूरिया के कारण न केवल फसलों का उत्पादन बढ़ा है बल्कि किसानों ने इसके उपयोग में मात्रा को कम किया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में जैविक खेती की व्यापक संभावना है और सिक्किम इसकी अगुआयी कर रहा है। उन्होंने कहा कि जो किसान परम्परागत ज्ञान के आधार पर जैविक खेती कर रहे हैं यह उनकी मजबूरी नहीं बल्कि पसंद है, जो सतत उत्पादन के लिए जरुरी है।