नई दिल्ली। अपेक्षाकृत छोटे कारोबारियों के उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर आॅफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा है कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के लिए मुख्य प्रणालीगत प्रक्रियाएं जिम्मेदार हैं जिसका दायित्व भारतीय रिजर्व बैंक को वहन करना चाहिए। पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष अनिल खेतान ने गुरुवार को कहा कि बैंक लेन-देन के लिए बनाई गयी दोनों प्रणालियों कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) और स्विफ्ट में आपसी संबंध नहीं है। इससे बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले ऋण गारंटी पत्रों का लेन-देन कोर बैंंिकग में नहीं दिखाई देता है। लगभग 13 हजार करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी के मामले में यही खामी सामने आई है। उन्होंने कहा, हालांकि बैंक के अंदरुनी लेखा परीक्षण में ऋण गारंटी पत्रों को दर्ज किया जाता है लेकिन शायद पीएनबी के उच्चाधिकारियों ने इस मामले को अनदेखा किया है। पीएचडी चैंबर में मुद्रा विनियमन विभाग के प्रमुख श्याम पोद्दार ने कहा कि प्रत्येक बैंक को हर महीने में जारी किये गये ऋण गारंटी पत्रों की जानकारी अगले महीने की 10 तारीख तक भारतीय रिजर्व बैंक को देनी अनिवार्य है। आरबीआई को इन ऋण गारंटी पत्रों पर संज्ञान लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह घोटाले मुख्यत प्रणालीगत प्रक्रियाओं की विफलता है।
बैंक की प्रत्येक शाखा का कम से कम छह बार लेखा परीक्षण होता है और लगभग सात साल से चल रही इस गड़बडी का पता नहीं चल सका। इन परीक्षणों में दो बाहरी लेखा परीक्षण होते हैं। पीएचडी चैंबर से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि पीएनबी घोटाले का सबसे अधिक असर छोटे कारोबारियों पर हो रहा है। उनके लिए कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो गया है। बैंकों से ऋण गारंटी पत्र जारी होने बंद हो गये हैं जिससे मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमतों में गिरावट हो रही है। इस बीच आरबीआई ने ऋण संबंधी नियमों को सख्त करना शुरू कर दिया है। इससे भी छोटे कारोबरियों की परेशानियां बढ़ी हैं।