नई दिल्ली। आम बजट 2017-18 के भाषण के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा क्रिप्टोकरंसी को गैर-कानूनी बताए जाने के बाद इस आभासी मुद्रा में व्यापार करने वाले लोगों के बीच घबराहट का माहौल तैयार हो गया था। लेकिन इस सब के बावजूद क्रिप्टोकरंसी एक्सचेजों ने नया रास्ता निकालने की योजना बना ली है। बिटकॉइन एक्सचेंज क्रिफ्टोकरंसी के व्यापार पर नजर रखने वाली संस्था के समाने यह प्रस्ताव रखा है कि वे इस आभासी मुद्रा में व्यापार करने वाले उपभोक्ताओं की एक सेंट्रल रिपॉजिटरी बनाएगी, जिससे लेन-देन के सही समय का रिकॉर्ड होगा। इससे वर्चुअल करंसी खरीदने और बेचने वालों का पता आधार आईडी या परमानेंट अकाउंट नंबर (पीएएन) के जरिए लगाया जा सकेगा। इससे यह जानकारी भी मिलेगी कि किसी यूजर के पास कितनी क्रिप्टोकरंसी है। इसमें क्रिप्टोकरंसी का मूल्य, अलग-अलग खरीददारों द्वारा इसके खरीद-बिक्री के तरीकों की जानकारी होगी। यह जानकारी इंडस्ट्री के एक बड़े अधिकारी ने दी। इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन आॅफ इंडिया में ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरंसी कमिटी (बीएसीसी) के मुख्य अधिकारी ने बताया, 'हम क्रिप्टोकरंसी मामलों को देखने वाली सरकारी समिति के सामने इस प्रस्ताव को पेश करने की योजना बना रहे हैं।' बीएससीसी में सात क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज मेंबर हैं। बीएससीसी का इरादा प्रस्ताव को सरकारी समिति के सामने पेश करने का है, जिसके हेड आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग हैं। उन्होंने बताया कि इसी हफ्ते प्रस्ताव पेश किया जाएगा। वहीं, क्रिप्टोकरंसी पर सरकारी समिति के सुझाव मार्च तक मिलने की उम्मीद है। सरकार क्रिप्टोकरंसी ट्रेड के लिए एक रेग्युलेटर भी अपॉइंट कर सकती है।
सरकार व आरबीआई कर चुकी है आगाह
केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोगों को क्रिप्टोकरंसी में व्यापार को लेकर आगाह किया था। टैक्स अथॉरिटीज ने लगभग एक लाख निवेशकों को नोटिस भेजकर उनसे क्रिप्टोकरंसी ट्रेडिंग पर कमाए गए लाभ की जानकारी देने और लागू टैक्स चुकाने को भी कहा है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का अनुमान है कि 2017 में बिटकॉइन में लगभग 10,000 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ और लगभग 50 लाख भारतीय क्रिप्टोकरंसी में सक्रियता से व्यापार कर रहे हैं।