नई दिल्ली। आज से 85 साल पहले एयर इंडिया की स्थापना करने वाले टाटा ग्रुप को कंपनी का नियंत्रण छोड़ना पड़ा था, लेकिन टाटा ग्रुप अब फिर से एयर इंडिया को अपना हिस्सा बनाना चाहता है। अगर टाटा ग्रुप एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लेता है तो वह एयर इंडिया का स्वामित्व उसके राष्ट्रीयकरण होने के 64 साल बाद पा लेगा। सरकार घाटे में चल रहे एयर इंडिया को बेचने की तैयारी में है।
टाटा सन्स ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना 1932 में की थी। कराची से बॉम्बे की पहली फ्लाइट खुद जेआरडी टाटा ने उड़ाई थी। आजादी से पहले 1946 में टाटा एयरलाइंस सार्वजनिक कंपनी बन गई और इसका नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया। प्लेन उड़ाना जेआरडी टाटा का जुनून था। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, जहाज उड़ाने के लिए क्वालिफाई करने वाले वह पहले भारतीय थे। वेबसाइट में बताया गया है, 'हवाई जहाज उड़ाने का लाइसेंस उन्हें 1929 में मिला। भारत में कमर्शल एविएशन लाने वाले वह पहले व्यक्ति थे। 1948 में उन्होंने एयर इंडिया इंटरनैशनल की स्थापना की। 1978 तक वह एयर इंडिया की जिम्मेदारी संभाले रहे।
क्या टाटा ग्रुप एयर इंडिया को केवल अपनी विरासत समझ खरीदना चाहता है? नहीं, भले ही कंपनी कर्जे में हो और संचालन संबंधी समस्याएं हो फिर भी इसकी वैल्यू काफी है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन के डेटा के मुताबिक, एयर इंडिया की फ्लीट में 118 जहाज है और भारत से और भारत तक सबसे ज्यादा पैसेंजर्स को मंजिल तक पहुंचाता है। इसके अलावा कंपनी को दुनियाभर के बड़े एयरपोर्ट्स में पार्किंग स्लॉट्स मिले हुए है जिसमें न्यूयॉर्क, शिकागो और लंदन शामिल है।