नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सेंट्रल मॉनेटरी कमेटी ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। इससे लोगों को दिवाली पर सस्ती ईएमआई का गिफ्ट नहीं मिलेगा।
आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में बनी एमपीसी ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा कि महंगाई दर अपने उच्च स्तर पर है, जिसकी वजह से रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट को 6 फीसदी पर रखा गया है। उसे विकास दर अनुमान 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।
विकास दर अनुमान घटाया
आरबीआई ने इकोनॉमी के ग्रोथ रेट में भी बदलाव किया है। मौद्रिक समिति ने जीवीए ग्रोथ को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। अगस्त में ही दिए अपने अनुमान को आरबीआई ने बदल दिया है।
जीएसटी से खुश नहीं आरबीआई
आरबीआई जीएसटी के क्रियान्वयन से खुश नहीं है। मौद्रिक समिति ने कहा है कि जीएसटी के लागू होने का इकोनॉमी पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसकी वजह से लघु अवधि में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए दिक्कतें पैदा हुई हैं। इसकी वजह से देश में निवेश की गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा। देश में निवेशक गतिविधियां पहले ही दबाव में है। हालांकि आरबीआई ने यह भी कहा है कि दूसरी छमाही में यह असर कम होगा और विकास को रफ्तार मिलेगी।
अगली बैठक 5-6 दिसंबर को
आर.बी.आई. ने वित्त वर्ष 2018 के लिए जीवीए. अनुमान 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी किया है वहीं सीआरआर. 4 फीसदी पर कायम है। रिजर्व बैंक ने अक्टूबर-मार्च में रिटेल महंगाई दर 4.2-4.6 फीसदी रहने का अनुमान दिया है। जनवरी-मार्च 2018 और अप्रैल-जून 2018 में रिटेल महंगाई दर 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है। जनवरी-मार्च 2019 में रिटेल महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। आर.बी.आई. की अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक 5-6 दिसंबर के दौरान होगी।
क्या होती है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।