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जल्द साकार होगा कैटरपिलर ट्रेन का सपना - ड्राइवर के बिना दौड़ेगी ये ट्रेन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 4 2017 2:50PM | Updated Date: Aug 4 2017 2:50PM
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नई दिल्‍ली। साइबर सिटी में जल्द ही कैटरपिलर ट्रेन चलाने का सपना साकार होगा। इसके लिए कई निवेशक सामने आ चुके हैं। जल्द ही निवेशकों का चयन कर एक कंपनी बनाई जाएगी। कंपनी सिस्टम विकसित करेगी। काम शुरू होने से अगले दो साल के अंदर सिस्टम विकसित कर दिया जाएगा। योजना परवान चढ़ी तो गुरुग्राम दुनिया का सबसे पहला शहर होगा, जहां कैटरपिलर ट्रेन चलती नजर आएगी।
 
भारतीय रेलवे में सूचना प्रणाली केंद्र के महाप्रबंधक अश्वनी कुमार ने सिंगापुर में रिसर्च के दौरान कैटरपिलर ट्रेन चलाने का कॉन्सेप्ट तैयार किया था। तीन साल तक उन्होंने इस सब्जेक्ट पर काम कर अपने कॉन्सेप्ट को फाइनल किया। वे अपने कॉन्सेप्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय भूतल सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री मनोहरलाल आदि को दिखा चुके हैं। सभी ने इस कॉन्सेप्ट की सराहना भी की है।
 
कॉन्सेप्ट को धरातल पर लाने के लिए निवेशकों की तलाश तेजी से चल रही है। प्रयास यह भी है कि आॅटोमोबाइल सेक्टर की कुछ बड़ी कंपनियां मिलकर एक कंपनी बनाएं। उम्मीद है कि दो से तीन महीने के अंदर निवेशकों की सूची को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके बाद कंपनी बनाकर काम शुरू किया जाएगा।
 
चार रुटों से होगी शुरूआत
साइबर सिटी में शुरूआती दौर में चार रूटों पर ट्रेन चलाने का विचार है। चारों रूट किसी न किसी मेट्रो स्टेशन से जुड़े होंगे। सुशांत लोक फेज एक, एंबियंस मॉल, साइबर सिटी, उद्योग विहार, इफको चौक सहित अधिक महत्वपूर्ण इलाकों में यह सिस्टम विकसित किया जाएगा। अनुमान के मुताबिक एक किलोमीटर कॉरिडोर बनाने में 20 से 25 करोड़ रुपए खर्च होंगे। बताया जाता है कि एक किलोमीटर दिल्ली मेट्रो या रैपिड मेट्रो लाइन को विकसित करने में 200 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आता है। लिहाजा कम लागत के चलते कैटरपिलर ट्रेन में किराया भी कम होगा। ट्रेन में तीन कोच होंगे। प्रत्येक कोच में 20 यात्रियों के बैठने की जगह होगी।
 
ड्राइवर के बिना दौड़ेगी कैटरपिलर ट्रेन
कैटरपिलर ट्रेन चलाने के लिए अलग से जमीन अधिग्रहण करने की आवश्यकता नहीं होगी। पूरा सिस्टम सड़कों के ऊपर विकसित होगा। आर्क के आकार में खंभे लगाकर ऊपर पटरी बिछाई जाएगी। सिस्टम की खासियत यह होगी कि पटरियों से लटककर भी ट्रेनें चलेंगी और पटरियों पर भी। इसमें ड्राइवर की आवश्यकता नहीं होगी। बोगियों में स्क्रीन होगी, जिस पर ट्रेनों की जानकारी प्रदर्शित होती रहेगी। 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह ट्रेन चल सकेगी।
 
प्रोजेक्ट से जुड़ेंगे साफ छवि वाले अफसरकई निवेशक सामने आए हैं। उन्हीं को इस कार्य से जोड़ा जाएगा, जिनका पूरी ईमानदारी से काम करने का इतिहास है। साथ ही बेहतर से बेहतर करने का जिनके पास जज्बा है। पूरी उम्मीद है कि जल्द ही निवेशकों का चयन होगा। चयन होते ही कंपनी बनाई जाएगी। हरियाणा के अलावा कई अन्य राज्य सरकारों ने भी इसके लिए दिलचस्पी दिखाई है।                   
-अश्वनी कुमार, महाप्रबंधक, रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र, दिल्ली
 

 

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