नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान मुंबई ने करेंसी नोट छापने वाले कागज का विकास किया है जिसमें कपास के साथ साथ गैर परम्परागत कच्चे माल का भी उपयोग किया गया है।
कपास के बिनौले के रेशे उच्च गुणवत्ता वाले नोट के कागज के निर्माण के लिए बहुत अच्छा कच्चा माल है, लेकिन सिर्फ इससे बने कागज में मजबूती तथा मोड़ने पर न फटने की ताकत जैसे गुण कम होते हैं। इसमें केले के तने के रेशों, अलसी आदि के रेशों को मिला कर मजबूती लायी जा सकती है।
संस्थान ने एक्सट्रामुरल परियोजना के तहत प्राकृतिक रेशों के उचित समिश्रण से उच्च गुणवत्ता वाले लुगदी के निर्माण के लिए अनुसंधान शुरु किया था जो पिछले दिनों पूरा हो गया। लुगदी को कई रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है ताकि कागज में अधिक से अधिक मजबूती आए। इसी माह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना दिवस पर नोट छापने वाले कागज के विकास की घोषणा की गयी थी।