मुंबई। सिगरेट बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी आईटीसी का कहना है कि हाल ही में शुरू की गई जीएसटी व्यवस्था के तहत कर की उच्च दर से सिगरेट की वैध बिक्री की पूरी प्रणाली पर असर पड़ेगा। आईटीसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 से वैध सिगरेट उद्योग में 25 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। अपने तिमाही परिणामों में आईटीसी ने कहा कि राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर को बढ़ाए जाने से सिगरेट पर अतिरिक्त कर का बोझ बढ़ा है और यह देश में सिगरेट की पूरी वैध बिक्री प्रणाली को बिगाड़ देगा।
उपकर से राजस्व क्षतिपूर्ति
जीएसटी परिषद ने प्रति हजार सिगरेट पर राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर का दायरा 485 रुपए से 79 रुपए तक बढ़ा दिया है। इसके अलावा अन्य श्रेणी जैसे कि 75 मिलीमीटर से ज्यादा लंबी (फिल्टर की लंबाई सहित) सिगरेट पर उपकर का मूल्यानुसार घटक 31 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की मंशा इस राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर को बढ़ाकर नई कर व्यवस्था में सिगरेट पर कर विसंगति को दूर करने की है, जो जीएसटी के तहत पहले की गई घोषणा से उत्पन्न हुई थी।
पुरानी व्यवस्था के मुकाबले बढ़ा टैक्स
इसका मकसद जीएसटी से पहले वाली व्यवस्था में सिगरेट पर लगने वाले उत्पाद कर के परिवर्तनशील प्रभाव को खत्म करना है। आईटीसी ने कहा कि इस तरह नई व्यवस्था में सिगरेट पर कर पुरानी व्यवस्था के मुकाबले बढ़ गया है, जो राजस्व निरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांत के उलट है। वित्तवर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आईटीसी की सिगरेट से होने वाली आय 6.60 रुपए बढ़कर 8,774.16 करोड़ रुपए रही है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 8,230.60 करोड़ रुपए थी।