रायपुर। ट्रेनों के पेंट्रीकार की व्यवस्था अब रेलवे की बजाय आईआरसीटीसी संभालेगी। वर्तमान में अधिकांश ट्रेनों में आईआरसीटीसी निजी फर्मों को ठेका भी दे चुकी है। ऐसा खानपान की गुणवत्ता सुधारने और ओवर चार्जिंग रोकने के लिए किया जा रहा है। हालांकि इसकी उम्मीद कम है। इसका एक बड़ा कारण ये है कि रेलवे का वाणिज्य विभाग अब केवल निरीक्षण और जांच कर सकेगा। जुमार्ना करने का अधिकार नहीं होगा। चलती ट्रेन में यात्रियों को खाना उपलब्ध करवाने का काम रेलवे ने बरसों पहले शुरू किया था।
ये होंगी कमियां
- ठेकेदार खानपान गुणवत्ता पर नियंत्रण नहीं रखेगा।
- मनमर्जी का ब्रांड बेचेगा, एप्रूव्ड लिस्ट का कोई ध्यान नहीं रखेगा।
- ओवर चार्जिंग होगी, खानपान की मात्रा कम हो सकती है।
- रेलवे का वाणिज्य विभाग जांच करेगा तो जुमार्ने की कार्रवाई में देरी होगी। अभी सुबह जांच और शाम तक जुर्माना हो जाता है। ऐसे में मॉनिटरिंग सिस्टम गड़बड़ होगा।
ओवर चार्जिंग की शिकायत नहीं हो रही थी कम
शुरू में रेलवे के कर्मचारी ही पेंट्रीकार में खाना बनाता थे। इसके बाद दिन-प्रतिदिन खानपान की गुणवत्ता बिगड़ती चली गई। ओवर चार्जिंग की शिकायतें लगातार आने लगीं। इसके बाद रेलवे ने निजी फर्मों को पेंट्रीकार का ठेका दे दिया। इसके बाद शिकायतें और ज्यादा बढ़ गईं। ऐसे में रेल मंत्रालय ने आईआरसीटीसी को पेंट्रीकार संभालने का जिम्मा दे दिया। आईआरसीटीसी ने निविदा आमंत्रित कर खानपान व्यवस्था ठेके पर दे दी।
अब खानपान व्यवस्था की मॉनीटरिंग आईआरसीटीसी को ही करनी है। यात्री आईआरसीटीसी की व्यवस्था से भी खुश नहीं हैं। गुणवत्ता, तय मात्रा नहीं देने और ओवर चार्जिंग की शिकायतें आने लगी हैं। रेलवे के आलाधिकारियों से ट्रेनों की पेंट्रीकार की व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि पुराने ठेके जब खत्म हो रहे हैं तो नए ठेके आईआरसीटीसी ही कर रही है। रेलवे का वाणिज्य विभाग ट्रेनों में खानपान व्यवस्था का केवल निरीक्षण कर रिपोर्ट आईआरसीटीसी को भेज सकेगा।