मुंबई। पिछले कुछ वक्त से 2000 रुपए के नोट्स की कमी महसूस की जा रही है। बैंकर्स और एटीएम ऑपरेटर्स भी इस तरह की शिकायत कर रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह जहां इन नोटों की हॉर्डिंग है, वहीं कुछ लोग इसे सरकार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा भी बता रहे हैं। उनके अनुसार सरकार चाहती है कि उच्च मूल्य यानी हाई वैल्यू के ये नोट्स धीरे-धीरे इकोनॉमी से बाहर हो जाएं। इससे हॉर्डिंग के साथ ही आतंकी कार्यों और नकली नोट जैसे मामलों पर भी थोड़ी लगाम लगती है। तो क्या अब 2000 के नोट भी बंद कर दिए जाएंगे।
एसबीआई ने अपने एटीएम का रीकैलिब्रेशन भी शुरू कर दिया है, ताकि उसके एटीएम में 2000 रुपए की जगह 500 रुपए के नोट्स अधिक रखे जा सकें। एसबीआई के पास सबसे अधिक 2.2 लाख एटीएम हैं। हाल के दिनों में रिजर्व बैंक से 2000 रुपए के नोटों की सप्लाई भी काफी कम हो गई है। एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इन दिनों 500 रुपए के नोट्स ही अधिक आ रहे हैं।
उनके अनुसार 2000 रुपए के नोट्स रीसर्कुलेशन के जरिए ही बैंकों तक पहुंच रहे हैं, न कि आरबीआई से सीधे। इन सबके बीच अच्छी बात यह है कि आरबीआई की कोशिश सर्कुलेशन में पर्याप्त संख्या में 500 रुपए के नोट्स डालने की है, ताकि करेंसी नोट्स की भारी कमी न हो जाए।
कम वैल्यू के नोट्स की संख्या बाजार में लगातार बढ़ रही है। मई में 100 रुपए और उससे कम के नोट्स की वैल्यू 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गई, जबकि नोटबंदी के पहले ये लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए के थे। इसी तरह नवंबर में 500 रुपए के नोट्स 8.1 लाख करोड़ रुपए मूल्य के थे, जो कम होकर मई में 4.1 लाख करोड़ रुपए के हो गए। 2000 रुपए के नोट्स भी कम होकर मई में 5.5 लाख करोड़ रुपए के रह गए।