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..तो देश में रह जाएंगे बस 12 सरकारी बैंक?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 17 2017 2:51PM | Updated Date: Jul 17 2017 2:51PM
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मुंबई। केन्द्र सरकार वैश्विक आकार के 3-4 बैंक तैयार करने के लक्ष्य के साथ मध्यवर्ती समेकन एजेंडे पर काम कर रही है और वह सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों की संख्या घटाकर करीब 12 करने पर जुटी है। बैंकों की संख्या समेकन कर अगले कुछ सालों में 10-12 तक लाई जाएगी। 
एक अधिकारी ने बताया कि 21 पब्लिक सैक्टर बैंकों को मध्य अवधि में 10 से 12 में समेट दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि थ्री-टायर स्ट्रक्चर के हिसाब से 3 से 4 ऐसे बैंक बनाए जाएंगे जो भारतीय स्टेट बैंक जितने बड़े होंगे। उस अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि क्षेत्र संबंधी बैंक जैसे कि पंजाब और सिंध बैंक व आंध्रा बैंक स्वतंत्र बैंक के तौर पर काम करते रहेंगे। इसके अलावा कुछ मिड-लैंडर्स भी अपने आॅपरेशन चलाते रहेंगे।

सरकार कर रही तेजी से काम
पिछले महीने वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार सरकारी बैंकों के मर्जर को लेकर तेजी से काम कर रही है। हालांकि उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। एसबीआई मर्जर से उत्साहित वित्त मंत्रालय ऐसा ही दूसरा प्रपोजल क्लीयर करने पर विचार कर रहा है। हालांकि यह तब ही होने की उम्मीद है जब बैड लोन की स्थिति नियंत्रण में आ जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक व्यवस्था में कुछ बड़े बैंक, कुछ छोटे और कुछ स्थानीय बैंक रहेंगे। उन्होंने कहा था कि सिस्टम में वेरायटी की जरूरत है। 
 
मर्जर की ओर कई सरकारी बैंक
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि एक संभावना यह भी है कि पंजाब नेशनल बैंक (पी.एन.बी.), बैंक आॅफ बड़ौदा, केनरा बैंक और बैंक आॅफ इंडिया अधिग्रहण के लिए संभावित प्लेयर की खोज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए ये बैंक रीजनल संतुलन, भौगोलिक पहुंच और वित्तीय दबाव व आसानी से मानव संसाधन तक पहुंच भी देखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कमजोर बैंक को मजबूत बैंकों के साथ मर्ज नहीं किया जाना चाहिए। 
 
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