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जून में बना क्रेडिट कार्ड व मोबाइल बिल तो नहीं लगेगा जीएसटी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 8 2017 9:54AM | Updated Date: Jul 8 2017 9:54AM
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नई दिल्ली। यदि आपकी किसी सर्विस का बिल जून में तैयार हुआ है और उसकी ड्यू डेट जुलाई है तो उस पर आपको जीएसटी नहीं चुकाना होगा। रेवेन्यू सेक्रटरी हसमुख अढ़िया ने शुक्रवार को इस बारे में भ्रम दूर करते हुए कहा कि 30 जून से पहले जनरेट हुए क्रेडिट कार्ड और मोबाइल बिल्स पर कोई जीएसटी लागू नहीं होगा। यही नहीं यदि इन बिलों की ड्यू डेट जुलाई के महीने में है, तब भी कोई पुराने दर से ही टैक्स लागू होगा, लेकिन, यदि आपने जून में सेवा का उपभोग किया है और उसका बिल जुलाई में बनता है तो फिर आपको जीएसटी चुकाना होगा।
 
यही नहीं वेंडर्स को भी राहत देते हुए राजस्व सचिव अढ़िया ने कहा कि यदि वेंडर जुलाई के महीने में मैन्युफैक्चरर को कोई पेमेंट करता है और उनका इनवॉइस जून में बना हो तब भी उन्हें जीएसटी से पहले की टैक्स व्यवस्था के अनुसार ही पेमेंट करना होगा। जीएसटी के तहत ज्यादातर सेवाओं पर 18 पर्सेंट का टैक्स लागू होगा, लेकिन पहले की व्यवस्था में 15 फीसदी का ही सर्विस टैक्स लगता था। जीएसटी लागू होने के बाद इसमें सर्विस टैक्स, एक्साइज टैक्स, वैट और अन्य करीब एक दर्जन टैक्स इसमें शामिल हो गए हैं। 
 
जून का बिल जुलाई में बनेगा तो भरना होगा जीएसटी
हालांकि यदि जून में उपभोग की गई सेवा का बिल यदि जुलाई में तैयार होता है तो उसके पेमेंट पर जीएसटी लागू होगा। एक सीनियर टैक्स अधिकारी ने इस पूरे मसले को इस तरह बताया, मान लीजिए आपका बिलिंग साइकल 25 जून को समाप्त हो रहा है और उसकी बिल 10 जुलाई को जनरेट होता है, लेकिन पेमेंट अडवांस में जमा न हुई हो तो आपके इनवॉइस पर जीएसटी लागू होगा। इसकी वजह यह है कि जीएसटी के नियम के तहत इनवॉइस इशू करने की तारीख को ही सर्विस प्रोवाइड करने की तारीख माना जाता है। पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत इनवॉइस जनरेट होने या फिर पेमेंट करने के दौरान सर्विस टैक्स चार्ज होता था। 
 
जीएसटी से प्रभावित होगा स्वर्ण मंदिर का लंगर
दुनिया की सबसे बड़ी कम्यूनिटी किचन पर जीएसटी का बड़ा असर होगा। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के लंगर में वीकडेज (सोमवार से शुक्रवार) में लगभग 50000 श्रद्धालु लंगर खाते हैं वहीं वीकएंड्स (शनिवार, रविवार) और त्योहारों पर लगभग 100000 श्रद्धालु लंगर खाते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद से इस लंगर पर 10 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। यहां का किचन केवल दो घंटों के लिए मेंनटेनंस के लिए बंद होता है। इस किचन में श्रद्धालुओं के लिए तैयार होने वाले लंगर में हर दिन 7000 किलोग्राम आटा, 1200 किलोग्राम चावल, 1300 किलोग्राम दाल और 500 किलोग्राम घी की खपत होती है। 
 
लंगर बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान जैसे घी, चीनी और दालों का सालाना खर्च 75 करोड़ रुपए आता है। अब जीएसटी लागू होने के बाद घी पर 12 फीसदी, चीनी पर 18 फीसदी टैक्स और दालों पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा। इससे इस किचन पर 10 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। इस किचन में लकड़ी का चूल्हाए एलपीजी स्टोव और इलेक्ट्रॉनिक रोटी मेकर का इस्तेमाल किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इस किचन में रोजाना 100 एलपीजी सिलिंडर, 5000 किलोग्राम लकड़ी की खपत होती है। इतनी बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री स्थानीय बाजारों या फिर दिल्ली से खरीदी जाती है।
 
रिवाइज एमआरपी नहीं छापी तो जाना होगा जेल
जीएसटी के तहत सभी प्रॉडक्ट्स और सेवाओं पर 5, 12, 18 और 28 फीसदी का टैक्स स्लैब तय हुआ है। इस बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि पिछले स्टॉक पर मैन्युफैक्चरर्स ने जीएसटी के मुताबिक रीवाइज हुई कीमतों को नहीं छपवाया तो उन्हें जुर्माने और जेल का सामना करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कन्जयूमर प्रॉटेक्शन लॉ को चेंज करते हुए यह बात कही। सरकार का कहना है कि ऐसा प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि कोई भी मैन्युफैक्चरर ग्राहकों को मिलने वाले लाभ से वंचित न कर सके।
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