नई दिल्ली। निर्माण क्षेत्र की सरकारी कंपनी एनबीसीसी इंडिया शीघ्र ही देश में सात से दस दिन में भवन निर्माण कर सकेगी। एनबीसीसी और हंगरी की कंपनियों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बल पर यह संभव हो सकेगा। एनबीसीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मित्तल ने कहा कि यह नई प्रौद्योगिकी का युग है।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए कंपनियों के साथ करार किए गए हैं। हंगरी से ऐसी प्रौद्योगिकी आयात की जा रही है जिससे सात से दस दिन में घरों का निर्माण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह का एक करार पौलेंड की कंपनी बोलिक्स के साथ ही किया गया है जिससे काम की गुणवत्ता में सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि बोलिक्स एक ऐसा उत्पाद बनाती है जो वास्तव में पेंट नहीं है, लेकिन उसे भवन के बाहरी हिस्से में यदि उपयोग किया जाता है तो उससे ग्रीष्मकाल में भवन के भीतर के तापमान में सात से 10 डिग्री तक की कमी आई है और इसी तरह से शीतकाल और बर्फ गिरने के दौरान भवन के अंदर तापमान में बढोतरी होती है।
मित्तल ने कहा कि हंगरी के उत्पाद से घर के निर्माण में बहुत समय बचता है। यह कंक्रीट और जिपस्म के मिश्रण से बना उत्पाद है। इस प्रौद्योगिकी का भारतीय परिस्थिति में भी उपयोग किया जा सकता है। यह भारतीय परिदृश्य में बहुत ही सफल हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी से निर्मित भवन की लागत वर्तमान में बन रहे भवनों से काफी कम होगी।
एनबीसीसी ने कम लागत वाली आवासीय परियोजनाओं के लिए भारत में इस नयी निर्माण प्रौद्योगिकी को लाने के लिए हंगरी की कंपनी ग्रेमाउंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इस नई निर्माण प्रौद्योगिकी का नाम नॉन टेक्टॉनिक सिस्टम है और इसे ग्रेमाउंड ने विकसित किया है। तीव्र गति से बडे पैमाने पर घरों के निर्माण के लिए इसका डिजाइन किया गया है।
मित्तल ने कहा कि एनबीसीसी इस प्रौद्योगिकी का भारत के द्वितीय श्रेणी और छोटे शहरों के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में भवन निर्माण में उपयोग करने के लिए उत्साहित है। उन्होंने कहा कि यह कम लागत वाले आवासों और ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में निर्माण में मददगार होगा।
विकास के मामले में गांवों की अनदेखी किए जाने की शिकायत और स्मार्ट सिटी अवधारणा लेकिन स्मार्ट विलेज की चर्चा नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अब इसमें बदलाव आ रहा है और एनबीसीसी जैसी सरकारी कंपनियों इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सरकारी कंपनियों को बचाए रखने का यही लाभ है। सरकार हमेशा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दूरस्थ क्षेत्रों में जाने और काम करने के निर्देश दे सकती है। एनबीसीसी पूर्वात्तर में काम करने जा रही है।