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ब्याज दरों में कटौती का दबाव, नौकरी पर बढ़ रहा संकट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 9 2017 12:47PM | Updated Date: Jun 9 2017 12:47PM
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मुंबई। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा ब्याज दरों में कटौती की मांग को सही ठहराया जा सकता है, लेकिन ‘मांग’ सरकार के विजन से अलग है। इस समय पॉप्युलर डिमांड जॉब क्रिएशन है। अधिकतर बाजार विश्लेषकों और रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया का अनुमान है कि कैलेंडर ईयर के दूसरे हिस्से में महंगाई दर में इजाफा हो सकता है और सर्वसम्मति है कि आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कुछ नरमी दी जाए। 
 
ब्याज दरों को हमेशा मार्केट के अनुकूल माना जाता है और इतिहास ब्याज दरों और सेंसेक्स में अच्छा नकारात्मक संबंध भी दिखाता है, लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि ‘स्लो डिमांड’ से प्रभावित अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों की कमी नौकरियों के सृजन पर भी बुरा असर डाल रही है। बता दें हर महीने करीब 10 लाख लोग कुल वर्कफोर्स में जुड़ जाते हैं। मोदी की अगुआई में बीजेपी जब सत्ता में आई तो उसने 1 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया। 
 
मुद्रास्फीति में स्थिरता और अच्छे मॉनसून की संभावना को देखते हुए हाल ही में अरुण जेटली ने ब्याज दरों में कटौती की वकालत की थी। उन्होंने कहा था इन परिस्थितियों में कोई भी वित्त मंत्री ब्याज दरों में कटौती चाहेगा, प्राइवटे सेक्टर इसे पसंद करेगा। एएसआई के हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि श्रम की तुलना में पूंजी सस्ता हुआ है और कंपनियां श्रम को पूंजी (टेक्नॉलजी, मशीनरी और इक्विपमेंट) से रिप्लेस कर रही हैं। ब्रोकरेज मोतीलाल ओसवॉल सिक्यॉरिटीज ने एक नोट में कहा, प्रॉडक्टिविटी में अंतर और कड़े श्रम कानूनों की वजह से भारतीय कंपनियां यदि श्रम से अधिक पूंजी पर बल दे तो हैरानी की बात नहीं।  
 
इन फैक्ट्स को देखते हुए ब्रोकरेज ने ब्याज दरों की कटौती के औचित्य पर सवाल उठाया। श्रम की अधिकता वाली अर्थव्यवस्था में पैसों की कम कीमत कंपनियों को पूंजी से श्रम को रिप्लेस करने को प्रोत्साहित करेगी। आगे इसने कहा कि नीति निमार्ता चाहते हैं कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर नौकरियों के अवसर बढ़ाए, लेकिन पूंजी को अपेक्षाकृत सस्ता बनाना सही नहीं होगा। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 35 सालों में रोजगार में औसतन सालाना 1.9 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है, जबकि पूंजी नियोजन में 14 फीसदी का इजाफा हुआ। 
 
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