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RBI ने नहीं बदलीं नीतिगत ब्याज दरें, रेपो रेट 6.25 फीसदी पर बरकरार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 8 2017 11:45AM | Updated Date: Jun 8 2017 11:45AM
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मुंबई। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 2 से 3.5 प्रतिशत कर दिया है। उसका मानना है कि दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही आगाह किया है कि राज्यों के बीच कृषि ऋण माफी की होड़ बढ़ी महंगाई का खतरा बढ़ जाएगा। 
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि फरवरी, मार्च में मजबूत वृद्धि के बाद अप्रैल महीने में अचानक और उल्लेखनीय रूप से मुद्रास्फीति में कमी से कई मुद्दे उठे हैं जिसे मुद्रास्फीति के अनुमान में शामिल किया गया है। वित्त वर्ष 2017-18 के द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में रिजर्व बैंक ने कहा है कि दलहनों के रिकार्ड उत्पादन और उसके आयात के कारण अत्यधिक आपूर्ति से इसकी कीमतों में गिरावट का भी मुद्रास्फीति पर असर है। इसमें कहा गया है, खुले व्यापार और नीतिगत हस्तक्षेप से कीमतों में कमी पर रोक लग सकती है।
 
रिजर्व बैंक के अनुसार खाद्य एवं ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में नरमी अस्थायी हो सकती है क्योंकि ग्रामीण मजदूरी में वृद्धि तथा उपभोक्ता मांग में मजबूती का रुझान है। इसमें कहा गया है, ‘‘अगर अप्रैल की स्थिति बनी रहती है और कोई नीतिगत हस्तक्षेप नहीं होता है तो खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 2 से 3.5 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत रह सकती है। इससे पहले, रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 5 प्रतिशत तक रहेगी। 
 
केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति के घटने और बढ़ने का खतरा बराबर है इसमें मानसून का स्थानिक और अस्थायी वितरण तथा सरकार का प्रभावी खाद्य प्रबंधन जोखिम के रास्ते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पांचवीं बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है, ‘‘बड़े कृषि ऋण माफी की घोषणा से राजकोषीय स्थिति खराब होने तथा उसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका बढ़ी है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि वैश्विक राजनीतिक और वित्तीय जोखिम से आयातित मुद्रास्फीति पैदा हुई है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भत्ते दिए जाने से इसके उपर जाने का जोखिम बना हुआ है। हालांकि आरबीआई ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से कुल मिलाकर मुद्रास्फीति पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।
 
आरबीआई की नीतिगत समीक्षा की मुख्य बातें
- रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर बरकरार।  
- रिवर्स रेपो छह फीसदी।
- सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 फीसदी किया गया।
- चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि का अपना अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत किया।
- अप्रैल-मार्च 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 2 से 3.5 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान।
- जीएसटी से महंगाई बढ़ने का खतरा नहीं।
- कृषि ऋण माफी की होड़ के प्रति आगाह किया गया, इससे राजकोषीय स्थिति बिगड़ने, मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बढ़ेगा। 
- सातवें वेतन आयोग की सिफारिश, भूस्थैतिक एवं वित्तीय जोखिमों से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
- निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, बैंकों की हालत सुधारने, बुनियादी ढांचे की बाधाएं दूर करने की जरूरत पर बल।
- बैंकों के बही खातों में दबाव के समाधान के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेगा रिजर्व बैंक। 
- एमपीसी के पांच सदस्यों ने मौद्रिक नीति में यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में वोट डाला जबकि एक की राय भिन्न थी।
- मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक एक अगस्त को होगी।
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