नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टैक्स 1 जुलाई से लागू होने से पहले वित्त मंत्रालय में शनिवार को जीएसटी काउंसिल की एक अहम बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में खत्म हो गई है। इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में 2 हजार से अधिक अहम वस्तुओं के टैक्स स्लैब को तय किया गया।
जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में 1 जुलाई से पूरे देश में एक टैक्स लागू करने पर पूरी सहमति बन गई है। काउंसिल की बैठक में जहां एक तरफ गुड्स के रिटर्न और एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश को लेकर नियम बन गए हैं, वहीं गोल्ड को कौन से टैक्स स्लैब में रखा जाए इस पर सहमति नहीं बन पाई है।
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आईसैक ने संवादाताओं से बात करते हुए कहा कि गोल्ड को छोड़कर के सभी मुद्दों पर सहमति बन गई है। हालांकि इसमें अभी 2500 से अधिक सामानों पर क्या दर तय की गई है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।
सोने-चांदी आभूषणों पर टैक्स
कुछ राज्यों ने सोने पर 4% टैक्ट और इनपुट टैक्स क्रेडिट की वकालत की है, जिससे इन कीमती चीज़ों पर टैक्स का असर मौजूदा 2% के स्तर पर ही कायम रहे. वहीं वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने सोने पर 4-6% टैक्स की सिफारिश की थी। भारत में जरूरत का 99% सोना आयात किया जाता है और इस पर अभी 10% कस्टम ड्यूटी, मैन्युफैक्चरिंग पर 1% एक्साइज और बिक्री पर 1% वैट लगता है।
बिस्किट पर टैक्स की राजनीति
वहीं बिस्किट के बारे में सूत्रों ने कहा कि काउंसिल की श्रीनगर में हुई पिछली बैठक में इस पर विचार हुआ था। इसमें कुछ राज्यों ने 100 रुपये प्रति किलोग्राम से कम दाम वाले बिस्कुट पर मौजूदा 0% टैक्स ही बरकरार रखने की मांग की है, जबकि केंद्र इसे 12% के टैक्स स्लैब में रखना चाहता है। वहीं एक अन्य सूत्र ने कहा कि बिस्किट पर लगने वाला टैक्स राजनीतिक फैसला होगा।
कपड़ों में ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड की होगी दो श्रेणी
वहीं कपड़ों की अगर बात करें, तो इन्हें ब्रांडेड और नॉनब्रांडेड की दो श्रेणियों में रखा जा सकता है। जानकारों का कहना है कि टैक्स के लिहाज से अभी कपड़ा उद्योग काफा बंटा हुआ है, जहां सूती रेशों पर 0%, तो सिंथेटिक पर 12.5% एक्साइज है। ऐसे में अंदाजा है कि सरकार इनमें एकरूपता लाते हुए कपड़ों को बस दो श्रेणी में बांट कर उन पर टैक्स तय कर सकती है।