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बॉयोमीट्रिक तकनीक अपनाने में भारत दुनिया में अव्वल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 29 2017 10:51AM | Updated Date: May 29 2017 10:51AM
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मुंबई। बॉयोमीट्रिक तकनीक के क्षेत्र में सुधार के साथ ही इसे अपनाने में भारत दुनियाभर में अव्वल देश रहा है। एचएसबीसी ने अपनी हालिया ‘ट्रस्ट इन टेक्नोलॉजी’ रपट में कहा, औसत आधार पर अपनी पहचान के लिए ‘आंखों की पुतली’ का इस्तेमाल किसी अन्य देश की तुलना में भारतीय तिगुना करते हैं। 
 
भारत में यह आंकड़ा नौ प्रतिशत है जबकि अन्य देशों में तीन प्रतिशत। रपट के अनुसार जब नई तकनीक को अपनाने की बारी आती है तो पश्चिम की तुलना में एशिया और पश्चिमी एशिया के देश काफी आगे हैं, क्योंकि इसे लेकर उनकी समझ बेहतर है और वह इस पर विश्वास को लेकर ज्यादा सकारात्मक हैं। 
 
यह रपट 11 देशों के 12,019 लोगों की प्रतिक्रिया के आकलन पर तैयार की गई है। इसमें कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, भारत, मेक्सिको, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। उसमें कहा गया है कि इसका उपयोग ना सिर्फ ग्राहकों के रुझान से बड़ा है, बल्कि सरकारें भी इसका बड़े पैमाने पर प्रसार कर रही हैं।
 
2009 में शुरू की आधार परियोजना
रपट के अनुसार भारत सरकार ने 2009 में आधार परियोजना शुरू की थी। यह दुनिया का सबसे बड़ा बॅयोमीट्रिक संग्रहण कार्यक्रम है। उंगलियों के निशान की तकनीक अपनाने के मामले में चीन (40 प्रतिशत) अव्वल है। इसके बाद भारत (31 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (25 प्रतिशत) का स्थान है। बॉयोमीट्रिक तकनीक में पहचान के लिए व्यक्ति के शरीर के अंगों के डाटा का उपयोग किया जाता है। इसमें उंगलियों के निशान, आंखों की पुतली का स्कैन और रक्त का डीएनए इत्यादि शामिल है। 
 
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