मुंबई। अब भारतीय रेल तकनीक की दुनिया में एक कदम और आगे बढ़ाने जा रहा है। भारतीय रेलवे एक उन्नत उपकरण खरीदने के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का ग्लोबल टेंडर जारी करने जा रहा है। इस उन्नत उपकरण की सहायता से बिना गार्ड के ही 1000 ट्रेनें चलाई जाएगी।
इस उपकरण को एंड आॅफ ट्रेन टेलेमेट्री (ईओटीटी) कहा है जाता है। इस उपकरण से ड्राइवर और ट्रेन के अंतिम वैगन के बीच संपर्क बना रहेगा। यह बताएगा कि ट्रेन के सभी कोच/वैगन सही सलामत हैं। यह उपकरण गार्ड का काम करेगा। ईओटीटी के हर सेट की अनुमानित लागत 10 लाख रुपए है।
ऐसे काम करेगा ईओटीटी प्रणाली
ईओटीटी प्रणाली में दो इकाई होते हैं। एक इकाई को कैब डिप्ले यूनिट (सीडीयू) कहा जाता है, जिसे इंजन में लगाया जाएगा। दूसरी इकाई को ट्रेन के अंतिम वैगन या कोच में फिट किया जाएगा। दोनों यूनिटों में रेडियो ट्रांसमीटर लगा होगा, जिससे दोनों के बीच संपर्क कायम रहेगा। ट्रांसमीटर और अंतिम छोर पर रिसीवर निश्चित अंतराल पर संकेत देंगे।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि गाड़ी बिलकुल सही हालत में चल रही है। ट्रेन से किसी कोच या वैगन के अलग होने की स्थिति में ड्राइवर को सूचना मिल जाएगी और ब्रेक लग जाएगा। इससे ट्रेन के अलग हुए हिस्से और आगे के हिस्से के बीच टक्कर नहीं होगी।
संवाद टूटने पर मिलेगा संकेत
रेल मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि दोनों यूनिटों के बीच संवाद टूटने पर ड्राइवर को संकेत मिलेगा कि गाड़ी दो हिस्सों में बंट गई है। रेलवे शुरू में 1000 ईओटीटी उपकरण खरीदेगा। इसका इस्तेमाल कंटेनर संचालन में किया जाएगा और बाद में सभी ट्रेनों के लिए यूनिटें खरीदी जाएंगी। प्रस्तावित फ्रैट कॉरीडोर पर चलने वाली मालगाड़ियां ईओटीटी प्रणाली से लैस होंगी। इसके मौजूदा वित्त वर्ष से शुरू होने की संभावना है। इससे पहले रेलवे ने ई.ओ.टी.टी. सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।