नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव को भी मंजूरी मिल गई। रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन 35 में दो नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
इसके अंतर्गत रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआई) को अधिकार दिए गए हैं कि वे बैंकों के डिफॉल्टर्स के खिलाफ इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई करें। वहीं, दूसरे प्रावधान में आरबीआई को अधिकार दिया गया है कि तय समय सीमा में एनपीए से निपटने के लिए बैंकों को जरूरी निर्देश जारी करे। कैबिनेट ने किंग विनियमन अधिनियम में संशोधन के अध्यादेश को लागू करने की स्वीकृति दे दी थी।
रिजर्व बैंक को मिले ये अधिकार
अध्यादेश से दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत कर्ज वसूली नहीं होने की स्थिति में रिजर्व बैंक को किसी भी बैंकिंग कंपनी अथवा बैंकिंग कंपनियों को ऋण शोधन अथवा दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के लिए प्राधिकृत किया गया है। अध्यादेश के जरिए रिजर्व बैंक को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह बैंकों को फंसी परिसंपत्तियों के मामले के समाधान के लिए निर्देश जारी कर सके। अध्यादेश में रिजर्व बैंक को दबाव वाले विभिन्न क्षेत्रों की निगरानी के लिए समिति गठित करने का भी अधिकार दिया गया है।
इससे बैंकरों को जांच एजेंसियां जो कि ऋण पुनर्गठन के मामलों को देख रही है उनसे सुरक्षा मिल सकेगी। उल्लेखनीय है कि बैंक एनपीए मामलों के समाधान की पहल करने में हिचकिचाते रहे हैं। निपटान योजना के जरिए एनपीए का निपटान करने अथवा फंसे कर्ज को संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों को बेचने की पहल करने में बैंक अधिकारियों को तीन-सी का डर सताता है।