नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने में मदद मिली है और इसको लेकर विकास, महंगाई, मांग और अन्य मामलों में लगायी जा रही अटकलें गलत साबित हुई हैं। जेटली ने मंगलवार को यहां निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई द्वारा बनाए गए देश के 100 डिजिटलीकृत गांवों को राष्ट्र को समार्पित करते हुए कहा कि नोटबंदी को लेकर कुछ लोग अर्थव्यवस्था में दो फीसदी तक की गिरावट आने, महंगाई बढ़ने और मांग घटने का अनुमान जता रहे थे लेकिन उनका यह अनुमान गलत साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से लेस कैश अर्थव्यवस्था और डिजिटल लेन-देन को तीव्र गति देने में मदद मिली है।
उन्होंने इस मामले में स्वीडन का उदाहरण देते हुए कहा कि वह पूरी तरह से डिजिटलीकृत अर्थव्यवस्था है जहां नकदी लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। भारत अभी तक स्वीडन के स्तर तक नहीं पहुंचा है लेकिन हम उस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं।
उन्होंने वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि डिजिटलीकरण की ओर बढ़ाया गया यह पहला कदम था। बैंकिंग उद्योग ने वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब बैंक गांवों को डिजिटल बनाने की आरे बढ़ रहे हैं। जेटली ने आईसीआईसीआई बैंक की इस पहल से दूसरे बैंकों को भी सीख लेने की सलाह देते हुए कहा कि आईसीआईसीआई बैंक इस वर्ष के अंत तक 500 और गांवों को डिजिटल बनाने की तैयारी कर रहा है।
इस मौके पर आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि आईसीआईसीआई समूह का यह मानना रहा है कि किसी भी राष्ट्र की नींव उसके गांवों के समृद्ध होने से मजबूत होती है। इसी क्रम में हमारे नजरिए 'सशक्त गांव, समृद्ध भारत' के तहत पूरे देश में 100 दिन के भीतर 100 गांवों को डिजिटल बनाया गया है।