नई दिल्ली। प्रस्तावित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत कॉस्मेटिक्स, शेविंग क्रीम, शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन, प्लास्टिक, पेंट और कुछ कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी चीजें सस्ती हो सकती हैं। इसकी वजह यह है कि इनमें से ज्यादातर पर 28 प्रतिशत की ऊंची दर के बजाय 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लग सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि अभी जिस कमोडिटी पर जो टैक्स रेट लागू है जीएसटी के तहत भी उसे उसी के आसपास रखा जा सकता है। इसके चलते ज्यादातर वस्तुओं पर जीएसटी के निचले ब्रेकेट के हिसाब से टैक्स लग सकता है। उदाहरण के लिए अगर कोई चीज अभी 12 प्रतिशत के एक्साइज स्लैब के तहत आती हो लेकिन उपलब्ध छूटों के कारण प्रभावी टैक्स रेट 8 प्रतिशत हो तो जीएसटी के तहत 8 प्रतिशत रेट रखने पर ही विचार किया जाएगा। इस फॉर्मूले के हिसाब से करीब 70 प्रतिशत वस्तुएं 18 प्रतिशत ब्रेकेट के तहत आ सकती हैं।
जीएसटी काउंसिल ने चार स्तरीय टैक्स स्ट्रक्चर को अंतिम रूप दिया है, जिसमें 5 प्रतिशत, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा। हालांकि काउंसिल ने सबसे ऊंचे स्लैब को 40 पर्सेंट रखने की गुंजाइश छोड़ रखी है। अधिकारियों की एक टीम विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए टैक्स स्ट्रक्चर को अंतिम रूप देगी और काउंसिल 18-19 मई को अपनी अगली मीटिंग में अंतिम निर्णय करेगी। भारत में अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार जीएसटी को बताया जा रहा है और इसे पहली जुलाई से लागू करने की तैयारी है।