नई दिल्ली। 2022 तक सभी को घर देने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए मोदी सरकार दिलोजान से काम कर रही है। ताजा घटनाक्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों से अफोर्डेबेल हाउसिंग स्कीम के लिए बेकार पड़ी सरकारी जमीनों को खोजने के लिए कहा है। सरकार को पता है कि ये काम बहुत बड़ा है और समय सीमा के भीतर सबको घर मुहैया कराना तभी संभव है जब इस विजन को लेकर मिशन मोड में काम किया जाए।
बेकार पड़ी जमीनों की करें तलाश
पांच साल बाद देश के हर नागरिक के पास अपना घर हो, ये सोच जितना व्यापक है, उसे मूर्त रूप देने का काम भी उतना ही विशाल है। इसके लिए सरकार ने बेकार पड़ी सरकारी जमीनों का लैंड बैंक तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों से कहा है कि वो पहले उन जमीनों की तलाश करें जो विकसित सरकारी कॉलोनियों में बेकार पड़ी हुई हैं। सरकार की सोच है कि एकबार जमीन का इंतजाम हो जाए तो इस योजना पर आगे का काम आसान हो जाएगा।
नहीं होगी मंजूरी की समस्या पैदा
केंद्र सरकार को भरोसा है कि इस तरीके से राज्यों को अफोर्डेबेल हाउसिंग स्कीम के लिए जमीन की कमी के कारण आने वाली दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस योजना को गति देने के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने विकसित सरकारी कॉलोनियों में जमीन खोजने का काम भी शुरू कर दिया है। इससे होगा ये कि घर बनाने के लिए वहां जरूरी सुविधाएं पहले से ही मौजूद रहेंगी और मंजूरी की समस्या भी पैदा नहीं होगी।
90,000 करोड़ रु. के हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी
केंद्र ने 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अबतक 90,000 करोड़ रुपए के हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इसमें 16.42 लाख अफोर्डेबल हाउसेज के निर्माण का काम शामिल है, जिसमें सबसे अधिक 2.27 लाख तमिलनाडु में, 1.94 लाख आंध्र प्रदेश में और 1.81 लाख मध्य प्रदेश में है। इस स्कीम को लेकर केरल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में कमजोर प्रगति सरकार के लिए अबतक चिंता का विषय बना हुआ था। लेकिन उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनने के बाद वहां भी आशा के अनुरूप काम में तेजी आने की संभावना बनी है।