नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से जुड़े चारों बिल बुधवार को लोकसभा में कुछ संशोधनों के साथ पारित हो गए। 'सबसे बड़ा आर्थिक सुधार' कहे जाने वाला जीएसटी बिल बुधवार को लोकसभा में पास हो गया। घंटों चली बहस के बाद लोकसभा ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी। इसी के साथ सरकार ने आश्वस्त किया कि नई कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हित पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे।
केंद्र सरकार जीएसटी को 1 अप्रैल से लागू कराना चाहती थी। लेकिन ये डेडलाइन मिस होने के बाद अब सरकार इसे 1 जुलाई से देशभर में लागू करना चाहती है। जीएसटी आने के बाद पूरा देश एक बाजार के तौर पर तब्दील हो जाएगा। देश में वस्तुओं और सेवाओं की दर को एक समान रखा जाएगा।
ये बिल हैं- सेंट्रल जीएसटी (सी-जीएसटी), इंटिग्रेटेड जीएसटी (आई-जीएसटी), यूनियन जीएसटी (यूटी-जीएसटी) और मुआवजा कानून बिल। बिल पर करीब आठ घंटे बहस हुई। बिल पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘देशवासियों को बधाई... नया साल, नया कानून और नया भारत..!’ सदन में बहस की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी से महंगाई नहीं बढ़ेगी। टैक्स की मौजूदा दरें एक स्तर पर ही रहेंगी।
जीएसटी से ये कर होंगे खत्म
- जीएसटी को केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों के बदले लाया जा रहा है। जीएसटी के बाद एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी आॅफ कस्टम, वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, आॅक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी जैसे टैक्स खत्म होंगे।
आम लोगों को होगा ये लाभ
- करों का जाल और दरें कम होंगी। अभी देशवासी अलग-अलग सामान पर 30 से 35 प्रतिशत तक टैक्स देते हैं, जो जीएसटी के बाद कम हो जाएगा।
- सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं।
- जीएसटी से ऐसे बदलेगा माहौल
- घटेगी टैक्सों की तादाद
- टैक्स आॅन टैक्स खत्म होगा।
- जीएसटी में कम-से-कम 11 केंद्रीय और राज्यों के कर समाहित हो जाएंगे।
कम टैक्स
कुछ अप्रत्यक्ष टैक्स बढ़ेंगे, जबकि ज्यादातर में कटौती होगी।
एक भारत
पूरा देश एक मार्केट हो जाएगा, तमाम राज्यों के बीच सामानों की बेरोकटोक ढुलाई हो पाएगी।
आसान होगा कारोबार
टैक्स कम्प्लायंस तेज और आसान तो होगा ही, इस पर लागत भी कम आएगी।
समृद्ध होगा सरकारी खजाना
कुछ टैक्स में छूट और कुछ के पूरी तरह खात्मे की वजह से कर संग्रह का दायरा बढ़ेगा और सरकारी खजाने में आमदनी बढ़ेगी। गरीब राज्यों को ज्यादा आमदनी होगी।
बिल पास होने का मतलब
- 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने की उम्मीद बढ़ी।
- एक राष्ट्र-एक टैक्स संबंधी 17 साल से जारी कर सुधार की कोशिश कामयाब होगी। सबसे पहले वाजपेयी सरकार ने 2000 में जीएसटी के बारे में सोचा था।
- 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे।
आगे यह होगा
- अब कुछ नियमों पर जीएसटी काउंसिल 31 मार्च की बैठक में फैसला करेगी।
- राज्यसभा में ये बिल पारित होंगे। राज्यों की विधानसभाओं में भी उनके बिल पास होंगे।
देश को ये लाभ होगा
- एक अध्ययन के मुताबिक जीएसटी से देश की विकास दर एक से दो फीसदी बढ़ सकती है। इससे न केवल नई नौकरियां पैदा होंगी, बल्कि उत्पादकता भी बढ़ेगी।
- एसजीएसटी को सभी राज्यों की विधानसभाओं में पारित किया जाना है। जीएसटी काउंसिल की बैठक 31 मार्च को होगी। इसमें नियमों को मंजूरी दी जाएगी। फिर अलग-अलग प्रोडक्ट और सर्विसेस पर कितना जीएसटी लगेगा, यह तय किया जाएगा।
- जीएसटी के लिए 5, 12, 18 और 28 फीसदी की चार दरों की स्लैब का प्रस्ताव है।
इसलिए अब तक अटका रहा
17 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसकी नींव रखी थी, पर संसद में बहुमत नहीं होने के कारण यह टलता रहा। 2009 में यूपीए ने कोशिश की, लेकिन ज्यादातर राज्यों में काबिज गैर-कांग्रेसी सरकारें नुकसान की भरपाई पर अड़ी रहीं। अब केंद्र और ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।