नई दिल्ली/भोपाल। कॉलेज बस, होस्टल और मेस की फीस 1 अप्रैल से बढ़ने जा रही है। यानी कि अब कॉलेज परिसर में रहकर पढ़ाई करना ज्यादा महंगा साबित होगा। केंद्र सरकार के वित्त विभाग ने उच्चस्तरीय शिक्षा से संबद्ध संस्थानों के छात्रावासों, वाहन और मेस जैसी सर्विसेज को सर्विस टैक्स के दायरे में लाने का आदेश जारी कर दिया है। इस निर्णय के बाद प्राइवेट या सरकारी कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में मिलने वाली इन तीन सेवाओं पर 1 अप्रैल से 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स लेगा। अनुमान है कि इस बढ़ोतरी के चलते छात्रों के अभिभावकों पर सालाना आठ हजार रुपए तक का अतिरिक्त भार आएगा।
44 प्राइवेट और सरकारी विवि हैं मप्र में
मध्यप्रदेश में कुल 44 प्राइवेट और सरकारी विश्वविद्यालय हैं। इन नियम के दायरे में एमबीबीएस व अन्य विषयों के शिक्षा प्राप्त करने वाली छात्र भी आएंगे। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक प्राथमिक और हाईस्कूल संचालित करने वाले संस्थानों को छोड़कर उच्च शिक्षा से जुड़े हर संस्थान में मिलने वाली ये सुविधाएं बढ़े हुए सर्विस टैक्स के दायरे में आएंगी।
15% सेवा कर अब चुकाना होगा छात्रों को
3.5 लाख से ज्यादा छात्र प्रदेश में मेस की सुविधा लेते हैं
6.5 लाख से ज्यादा इंजीनियरिंग स्टूडेंट बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं
प्राइवेट होस्टल का उल्लेख नहीं
केंद्र सरकार ने कॉलेज परिसर के होस्टल सर्विस टैक्स के दायरे में रखे हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में प्राइवेट होस्टल्स का कोई उल्लेख नहीं है। सेवा कर की बाध्यता के चलते संस्थानों को अब मजबूरी में ही सही, वाहन शुल्क व होस्टल फीस में इजाफा करना होगा।