नई दिल्ली। अगले महीने से रेल यात्रा के दौरान आप टीवी धारावाहिक, फिल्में, छोटे वीडियो, बच्चों के शो, आध्यात्मिक शो, फिल्मी गीत, क्षेत्रीय गीत और आध्यात्मिक संगीत, इलेक्ट्रॉनिक अखबार, गेम और शैक्षणिक सामग्री आदि की फरमाइश कर पाएंगे। दरअसल गैर-किराया मद से आमदनी बढ़ाने की जुगत में लगे रेल मंत्रालय सफर के दौरान या रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की मांग पर मनोरंजक सामग्री मुहैया कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
मंत्रालय ने मंगाए सीओडी और रेल रेडियो सर्विसेज के लिए टेंडर
मंत्रालय ने कंटेंट आॅन डिमांड (सीओडी) और रेल रेडियो सर्विसेज मुहैया कराने के लिए टेंडर मंगवाए गए हैं और उम्मीद है कि अप्रैल से यह सेवा शुरू की जाएगी। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनों और स्टेशनों पर सीओडी के जरिए रेलवे का कुल इन्फोटेनमेंट मार्केट अगले तीन साल में 2,277 करोड़ रुपए पहुंच सकता है। इसमें रेडियो, आॅडियो, डिजिटल म्यूजिक और डिजिटल गेमिंग शामिल है।
रिपोर्ट कहती है कि इसमें कॉन्टेंट का मालिकाना हक रखने वाली कंपनियां एरोस इंटरटेनमेंट, बालाजी प्रॉडक्शंज और शेमारू एंटरटेनमेंट तथा कंटेंट ऐग्रीगेटर रेडियो मिर्ची, फीवर एफएम, हंगामा और बिंदास जैसी पार्टियां इसमें दिलचस्पी ले सकती हैं। साथ ही प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों और आॅफलाइन स्ट्रीमिंग बाजार की कंपनियों जैसे वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल, प्रेसप्ले टीवी, मूविंग टॉकीज, द्विंगलू, फ्रॉपकॉर्न, टूरिंगटॉकीज, माईफ्रीटीवी, जोंक और क्लाउडप्ले के भी इसमें आगे आने की उम्मीद है।
रेलवे को 10 साल में 20 हजार करोड़ रुपए की कमाई होने की उम्मीद
रेलवे को किराए के इतर गतिविधियों से अगले 10 साल में 16,000 से 20,000 करोड़ रुपए की कमाई होने की उम्मीद है। उसकी योजना पहले साल 30 प्रतिशत ट्रेनों में सीओडी और रेल रेडियो सेवा देने की है। दूसरे साल में इसे 60 प्रतिशत ट्रेनों में और तीसरे साल सभी ट्रेनों में मुहैया कराया जाएगा। रेलवे के मुताबिक सभी स्टेशनों पर चरणबद्घ तरीके से आॅडियो और विडियो कॉन्टेंट सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बीसीजी रिपोर्ट के मुताबिक आॅफलाइन कॉन्टेंट मुहैया कराने पर प्रति कोच करीब 38,000 रुपए खर्च आएगा।