मुंबई। मुंबई में 2000 के फिल्मी (नकली) नोट चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। यह गिरोह सुबह के समय फल और सब्जी बेचने वालों को अपना निशाना बनाते थे। 8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटबंदी का एलान कर रहे थे तब यह दावा किया गया था कि नोटबंदी से आतंकियों और उग्रवादियों की कमर टूट जाएगी।
इसके साथ ही यह भी दावा किया गया था कि असामाजिक तत्व अब फेक करंसी का कारोबार नहीं कर सकेंगे लेकिन सरकार के दावे खोखले साबित हुए। न तो आतंकी और उग्रवादी संगठनों का सफाया हुआ और न ही जाली करेंसी नोटों का कारोबार थमा। हद तो तब हो गई जब नई करेंसी आने के एक हफ्ते के भीतर ही देश में 2000 रुपये के नए जाली नोट मार्केट में आ गए। सीमा पार से दूसरे देशों से भी नकली नोटों की कई खेप अब तक भारत आ चुकी है। इसकी बानगी देखने को मिली बंगाल में जहां 6 दिन पहले ही मुर्शिदाबाद में फेक करेंसी के रैकेट का भांडाफोड़ हुआ।
नकली नोटों में यह नहीं
सूक्ष्म अक्षरों में लिखा आरबीआई और 2000 रुपये, जिसे मिंट मशीन से ही देखा जा सकता है
बांई ओर बना आयत और उसमें लिखा 2000, जो खासतौर पर दृष्टिबाधितों के पढ़ने के लिए है
नोट पर आड़ी खींची गईं सात रेखाएं, नकली नोट पर होती हैं, लेकिन दृष्टिबाधितों के अनुरूप नहीं
17 में से 11 सिक्युरिटी फीचर्स हुए कॉपी
जानकारी के मुताबिक, तस्कर असली नोट के 17 में से 11 सिक्युरिटी फीचर्स कॉपी करने में कामयाब हो गए हैं। इसमें वाटरमार्क, अशोक स्तंभ और आर.बी.आई गवर्नर के हस्ताक्षर भी शामिल हैं। हालांकि जाली नोटों की प्रिंटिंग और पेपर की गुणवत्ता खराब है। इससे अब नकली नोटों को पहचानना मुश्किल हो गया है। जांच से जुड़े अधिकारियों ने आशंका जाहिर की है जल्द ही ये नकली नोट भारतीय बाजार में पहुंच सकते हैं जिसे समय रहते कंट्रोल करने की आवश्यकता है।