कोलकाता। वर्तमान में वृहद आर्थिक स्थिति की मजबूती तथा मुद्रास्फीति पर अंकुश के मद्देनजर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कर्ज पर ब्याज दर को अपेक्षाकृत और कम, स्थिर, तथा स्वीकार्य स्तर पर रखे जाने की जरूरत पर आज बल दिया ताकि संभावित निवेशकों को भारत और खास कर पश्चिम बंगाल में निवेश के लिए आकर्षित किया जा सके।
बंगाल वैश्विक व्यापार सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, मुद्रास्फीति काफी हद तक काबू में है। सभी मानकों तथा अध्ययनों के आधार पर यही सुझाव दिया जा रहा है कि ब्याज दरें और कम, स्वीकार्य तथा स्थिर होनी चाहिए तभी संभावित निवेशकों को भारत और खासकर इस राज्य :पश्चिम बंगाल: में निवेश के लिए आकर्षित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि ठोस वित्तीय प्रबंधन की वजह से देश का चालू खाते का घाटा (कैड) कम हुआ है। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले दशक से लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देश का राजकोषीय घाटा और चालू खाते का घाटा सुधरा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी वृहद आर्थिक मानदंड ठोस वित्तीय प्रबंधन, निवेशक अनुकूल नीतियों तथा संतोषजनक बाहरी कारकों की वजह से मजबूत हैं। हालांकि, परंपरागत निर्यात बाजार संकुचित जरूर हुआ है पर एशिया में अन्य निर्यात बाजारों में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहा है।
मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 साल से मजबूती दिखाई है। राष्ट्रपति ने इस बात को रेखांकित किया कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी है।