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नोटबंदी के बावजूद कर वसूली में खासा इजाफा: जेटली

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 9 2017 3:56PM | Updated Date: Jan 9 2017 3:56PM
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नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ने को लेकर विपक्ष और अन्य द्वारा उठाये जा रहे सवालों पर जवाब देते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद करों की वसूली में अच्छी खासी बढोत्तरी हुई है। जेटली ने यहाँ मीडिया से बातचीत में नोटबंदी के बाद करों की वसूली में बढ़ोत्तरी के आँकड़े देते हुए कहा कि सीमा शुल्क में मामूली गिरावट के अलावा अन्य क्षेत्रों में खासा इजाफा हुआ है।
 
उन्होंने कहा कि करों की वसूली के संबंध में अभी यह त्वरित अनुमान है और 2017-18 के बजट में वास्तविक आँकड़े रखे जाऐंगे। सरकार 01 फरवरी को 2017-18 का आम बजट पेश करेगी। जेटली ने बताया कि दिसम्बर महीने में सोने का आयात घटने से सीमा शुल्क की प्राप्ति में छह प्रतिशत की कमी आई है।
 
देश में सोने का बड़ी मात्रा में आयात होता है और इसके घटने की वजह से सीमा शुल्क पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद ज्यादातर राज्यों के मूल्यवर्द्धित कर संकलन में बढ़ोत्तरी हुई है। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में पहले की इसी अवधि की तुलना में प्रत्यक्ष कर वसूली 12.01 प्रतिशत अधिक रही।
 
सेवा कर और अप्रत्यक्ष कर की प्राप्ति में क्रमश: 23.9 और 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इस दौरान सीमा शुल्क 4.1 प्रतिशत और उत्पाद शुल्क 43 प्रतिशत अधिक रहा। दिसम्बर 2016 में उत्पाद शुल्क 31.6 प्रतिशत, अप्रत्यक्ष कर 2.8 प्रतिशत और सेवा कर 12.4 प्रतिशत अधिक रहा। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद के पिछले सप्ताह जारी आँकड़ों में वृद्धि दर पहले के अनुमानित 7.6 प्रतिशत की तुलना में 7.1 प्रतिशत रह जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
 
विपक्षी दल नोटबंदी की वजह से लोगों को हो रही दिक्कतों और अर्थव्यवस्था पर इसके कुप्रभाव को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 08 नवम्बर को पाँच सौ और एक हजार रुपए के नोटों को बंद किए जाने की घोषणा की थी। पेट्रोल पम्पों पर कार्ड भुगतान को लेकर उठे विवाद पर जेटली ने कहा कि इस मसले को जल्दी सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इस मसले पर पेट्रोलियम मंत्रालय और बैंकों के संपर्क में हैं। पेट्रोल डीलर्स ने कार्ड के जरिए भुगतान पर बैंकों द्वारा एक प्रतिशत प्रभार की वसूली के फैसले की बजह से से इसे स्वीकार करने से मना कर दिया था किन्तु सरकारी तेल विपणन कंपनियों के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल यह मामला टल गया है। 
 
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