नई दिल्ली। 2015-16 की दूसरी तिमाही में निर्यात में भारी गिरावट के कारण करीब 70,000 कामगारों की छंटनी की गई। यह बात एसोचैम और थॉट आर्बिट्रिज के संयुक्त अध्ययन में कही गई। रिपोर्ट के अनुसार इससे इस बात को जोर मिलता है कि रोजगार सृजन मुख्य रूप से घरेलू मांग के आधार पर होनी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि निर्यात में गिरावट से टेक्सटाइल्स सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ और कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर मिले रोजगार में बड़ी कटौती हुई। वहीं, वैश्विक मांग में कमी ने कंपनियों के पेरोल पर काम कर रहे लोगों को भी बेरोजगार कर दिया। यह चिंता का विषय है क्योंकि ज्यादातर एक्सपोर्ट के माल बनाने वाली इकाइयां कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स पर निर्भर रहती हैं। इसलिए इन सेक्टर्स के वर्करों की भारी तादाद में छंटनी से निर्यात इकाइयों की स्थिति बदतर हो सकती है।
करीब सात सेक्टरों में हुई भारी छंटनी
लेदर सेक्टर की नौकरियों में थोड़े इजाफे को छोड़ दें तो करीब-करीब सात सेक्टरों में रेग्युलर और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स, दोनों की भारी छंटनी हुई। स्टडी में कहा गया है कि ग्रोथ स्टोरी के दुबारा आगाज के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को घरेलू परिदृश्यों को अंदरखाने देखना होगा जो तभी संभव है जब देश के अंदर मांग बढ़े।
देश का निर्यात लगातार तीसरे महीने गिरा है और अगस्त में पेट्रोलियम और लेदर जैसे प्रोडक्ट्स के निर्यात में कमी से कुल निर्यात 0.3 प्रतिशत गिरकर 21.58 बिलियन डॉलर रह गया। कमजोर वैश्विक मांग और तेल की कीमतों में कमी से दिसंबर 2014 से मई 2016 तक लगातार 18 महीने तक निर्यात में गिरावट आई। इस साल सिर्फ जून महीने में ही निर्यात बढ़ा।
ई-रीडिंग का बढ़ा चलन, फिर भी फुटपाथ पर बिक रही पुरानी किताबें
मुंबई। ई-बुक्स और रीडिंग डिवाइस के इस जमाने में मुंबई की फुटपाथ पर पुरानी किताबों का कारोबार अभी भी एक चोखाधंधा है। यहां किताबों के खुले बाजार में होमर और कालीदास जैसे दिग्गज लेखकों की किताबें बिकती हैं।
फेसबुक, ट्विटर, ई-रीडिंग डिवाइस और ऐप भी पुस्तक प्रेमियों के मन से छपी हुई किताबों का मोह तोड़ पाने में नाकाम रहे हैं और ऐसे किताब प्रेमी यहां से बहुत किफायती दामों में अपनी पसंदीदा किताब खरीदते हैं।
विशाल महानगर में किताबों के खुले बाजार के एक किताब विक्रेता ने बताया कि हालांकि यह डिजिटल युग हमारे कारोबार के लिए एक चुनौती है, लेकिन अभी भी फुटपाथ पर बिकने वाली किताबों की पर्याप्त मांग है।