मुंबई। डॉ उर्जित पटेल ने रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर का कार्यभार संभाल लिया है और अब उसने सामाने अपने चर्चित पूर्ववर्ती गवर्नर डॉ रघुराम जी राजन द्वारा छोड़ी गई विरासत को बरकरार रखने, उनके कुछ अधूरे कार्यों को पूरा करने तथा आर्थिक वृद्धि को प्रभावित किए बिना मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाए रखने की चुनौती है।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि पटेल ने चार सितंबर 2016 से अपना कार्य भारत संभाला है। डॉ पटेल जनवरी 2013 से डिप्टी गवर्नर पद पर थे। उन्हें डिप्टी गवर्नर के रप में गत 11 जनवरी को सेवाविस्तार दिया गया था।
आरबीआई के नए गवर्नर के सामने सबसे पहली चुनौती 2013 के मध्य में विदेशी विनियम संकट के समय प्रवासी विदेशी मुद्रा खाते के तहत जुटाए गए 20-25 अरब डालर के विदेशी मुद्रा रिण के इस तरह निपटान की जरूरत है जिससे रपए की विनिमय दर में कोई बड़ी स्थिरता न हो।
इसके साथ ही देश में पहली अपनायी जा रही मौद्रिक नीति समिति की अवधारणा को सुस्थापित करने और वसूल नहीं हो रहे कर्जो के संदर्भ में बैंकों की बैलेसशीट की सफाई के काम को तार्कित रप से पूरा कराना भी नए गवर्नर की प्रारंभिक चनौतियों में शामिल है।
सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च के वरिष्ठ फेलो, राजीव कुमार का कहना है कि पटेल को सबसे पहले मौद्रिक नीति समिति के साथ काम करने की आदत डालनी है। कुमार ने कहा, उन्हें समिति के साथ काम करने और मुद्रास्फीति का लक्ष्य प्राप्त करने के तरीके इजाद करने होंगे। इसके अलावा खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण उनके सामने एक अन्य चुनौती है।