नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू अर्थात् एजीआर) मामले में दूरसंचार कंपनियों की ओर से दायर पुनर्विचार याचिकाएं गुरुवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की पुनर्विचार याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी कि इनमें कोई आधार नजर नहीं आ रहा है।
भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने शीर्ष अदालत से अपने 24 अक्टूबर 2019 के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। इससे पहले गत आठ जनवरी को इन दूरसंचार कंपनियों की ओर से मामले का विशेष उल्लेख किया गया था और पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई खुली अदालत में करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन न्यायालय ने यह अनुरोध ठुकरा दिया था। न्यायमूर्ति मिश्रा की ही पीठ ने गत वर्ष 24 अक्टूबर को सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए एजीआर के आकलन के लिए दूरसंचार विभाग के फॉर्मूले को बरकरार रखा था।
इसके तहत दूरसंचार कंपनियों पर सरकार के 92 हजार करोड़ रुपये बकाया होने का अनुमान है। सरकार ने यह राशि 23 जनवरी तक भुगतान करने को कहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दूरसंचार विभाग ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। गौरतलब है कि एजीआर के तहत क्या-क्या शामिल होगा, इसकी परिभाषा को लेकर टेलीकॉम कंपनी और सरकार के बीच विवाद चल रहा था। टेलीकॉम कंपनियां सरकार के साथ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शेयरिंग करती है।
शीर्ष अदालत की परिभाषा के अनुसार, किराया, संपत्ति की बिक्री पर मुनाफा, ट्रेजरी इनकम, डिविडेंड सभी एजीआर में शामिल होगा। वहीं, डूबे हुए कर्ज, करंसी में फ्लकचुएशन , कैपिटल रिसिप्ट डिस्ट्रीब्यूशन मार्जन एजीआर में शामिल नहीं करने का आदेश दिया गया है।